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विश्वविद्यालयों में भी गर्भ संस्कार का कोई पाठ्यक्रम होना चाहिए: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

बच्चे को 7 वर्ष तक जो सिखाया व पढ़ाया जाता है, उसका 80 फीसदी उनकी आदत में ढल जाता है। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है।

विश्वविद्यालयों में भी गर्भ संस्कार का कोई पाठ्यक्रम होना चाहिए: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
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लखनऊ। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का मानना है कि स्वस्थ और संस्कारवान बच्चों के निर्माण के लिए कुछ नए प्रयोग करने होंगे। आज के इस तकनीकी युग में यह आवश्यक हो गया है कि विश्वविद्यालय ऐसे पाठ्यक्रमों का सृजन करें, जिसके माध्यम से भविष्य में माता-पिता बनने वाले आज के छात्र-छात्राओं को गर्भ संस्कार की शिक्षा दी जा सके। नई शिक्षा नीति में बहुत बल है। इसमें तीन वर्ष, चार से पांच व 5 से 6 वर्ष के आयुवर्ग की शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्र का भाग है। भारत का भविष्य बनाने के लिए नन्हे-मुन्नों को संस्कारित शिक्षा दी जानी चाहिए। बच्चे को 7 वर्ष तक जो सिखाया व पढ़ाया जाता है, उसका 80 फीसदी उनकी आदत में ढल जाता है। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है।

प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शुक्रवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के आईईटी परिसर में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी शैक्षिक संस्थान विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश द्वारा पूरा आयोजन हो रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को जनशक्ति कैसे मिले, उसी पर यह कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में पहले पांच साल में तीन साल आंगनबाड़ी के लिए हैं। बच्चा घर में जो भी गलत-सही कार्य करेगा, वह आंगनबाड़ी में भी करेगा। हमारे बच्चों में बेहतर और दोष क्या है इसका पता आंगनबाड़ी से ही चल सकता है और इसी आधार पर उनका भविष्य निखारा जा सकता है।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिशु शिक्षा गर्भाधान से लेकर सात साल तक होती है, ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भूमिका और बड़ी हो जाती है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां हमारे देश के भविष्य का निर्माण करने का काम कर रही हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बच्चों को उठने-बैठने, हाथ-पैर ऊपर-नीचे करने आदि का सलीका सिखाएं। खेल, खिलौना, प्रदर्शनी कीट आदि के माध्यम से भाषा, गणित, विज्ञान, रंगों, अंकों का ज्ञान कराएं। पर्यावरण, संयुक्त परिवार, राष्ट्रप्रेम, अच्छी सीख विषयक बाल कहानियां रोचक ढंग से सुनाएं। बच्चों के सुनने, पूछने व बोलने की सहभागिता कराएं, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां महिला ग्राम प्रधान के साथ मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि मां जब बीमार होगी तक बीमार बच्चे को ही जन्म देगी, ऐसे में हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज 50 फीसदी महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी है, जो चिंता का विषय है।


महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा और उनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश की जनता बहुत सौभाग्यशाली है कि उत्तर प्रदेश को ऐसी राज्यपाल मिली जो एक मार्गदर्शक भी हैं और एक मां की भूमिका में भी हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण उपयोगी होगा। कार्यकत्रियों से अपेक्षा भी है कि वह जैसे अपने बच्चों के साथ रहती हैं, उसी भावना के साथ आंगनबाड़ी के बच्चों के साथ भी करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1,88,982 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां 41 लाख से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह बच्चे प्रारंभिक शिक्षा लेकर अपनी नींव मजबूत करके आगे आएंगे और देश का भविष्य उज्ज्वल करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का मॉडल पूरे देश मे रोल मॉडल बनकर उभरे और पूरा देश उस मॉडल पर चले।


विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री शिवकुमार ने सनातन परम्परा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में प्राचीन काल से ही सोलह संस्कारों का वर्णन है, जो वैज्ञानिक रूप में जीवन की रचना के विकास के आयाम हैं। उन्होंने कहा कि शैशवकाल से ही बच्चे का भावनात्मक विकास शुरू होता है, जिसमें मां की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवस्था में बच्चों के अंदर जैसा बीजारोपण किया जायेगा, वैसा ही उनके जीवन का आधार होगा। उन्होंने कहा कि बच्चा अनुसरण से सीखता है और उसके अंदर जिज्ञासाएं उत्पन्न होती हैं। बच्चों की जिज्ञासाओं की समाधान होना ही चाहिए। इससे बच्चों की बुद्धि प्रखर होती है और वे मेधावी बनते हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में वे सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि उनके मन में उठने वाली सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया जाए।


इससे पहले कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के समक्ष दीपप्रज्जवलन और पुष्पार्चन के साथ हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा विद्या भारती की अखिल भारतीय बालिका शिक्षा संयोजिका रेखा चूड़ासमा ने रखी। अतिथियों का परिचय विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय कुमार उपाध्याय ने और धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय सह प्रमुख शिशु वाटिका मीरा श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन अवध प्रांत की प्रांत प्रमुख संयोजिका हीरा सिंह ने किया। इस अवसर पर शिक्षक मार्गदर्शिका का विमोचन भी किया गया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री शिवकुमार, अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र, क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचन्द्र, क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्र, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्र सहित विद्या भारती के कई पदाधिकारी और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, जिला प्रशासन के अधिकारी एवं करीब 300 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां मौजूद रहीं।

Updated : 6 Aug 2021 1:41 PM GMT
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Swadesh Lucknow

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