स्वास्थ्य व्यवस्था या सत्ता का सौदा: अयोध्या में ट्रांसफर-पोस्टिंग बना विभागीय लॉटरी, मिल्कीपुर सीएचसी बेहाल

अयोध्या। स्वास्थ्य सेवाओं को ‘चुस्त-दुरुस्त’ करने के नाम पर अयोध्या जनपद के स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग की खुली मंडी सज चुकी है। सरकार की “शून्य ट्रांसफर नीति” ज़मीनी हकीकत में ताश के पत्तों की तरह फेंटे जा रहे कर्मचारी और भय दिखाकर की जा रही पोस्टिंग डील में तब्दील हो गई है।
विभाग के भीतर का आलम यह है कि कर्मचारी अब इसे “काला पानी की सजा” जैसा मान रहे हैं। देवगांव और सुनबा जैसी दूरस्थ सीएचसी को जानबूझकर धमकी की पोस्टिंग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। सीएमओ कार्यालय से ट्रांसफर का डर अब नियम नहीं, ‘हथियार’ बन चुका है। फार्मासिस्ट से लेकर कनिष्ठ लिपिक तक, हर कर्मचारी “सजा पोस्टिंग” के खौफ में जी रहा है।
जिले की सबसे चर्चित सीएचसी मिल्कीपुर इन दिनों अव्यवस्था की जीवित मिसाल बन चुकी है। जहां चार फार्मासिस्ट होने चाहिए थे, वहां अब,एक मेडिकल लीव पर,दूसरा सावन ड्यूटी पर,तीसरे का ट्रांसफर कर दिया गया,चौथा डिप्रेशन में मेडिकल लीव पर। और बचा क्या?आयुष के संविदा फार्मासिस्ट, जिनके कंधों पर अब एलोपैथिक दवाओं की जिम्मेदारी और इमरजेंसी सेवाएं भी लाद दी गई हैं। मिल्कीपुर ही नहीं, सोहावल, हैदरगंज और अन्य सीएचसी में भी यही हाल है। कनिष्ठ लिपिक किरन सिंह को शिकायत करने के बाद हटा दिया गया। बिना तर्क, बिना पारदर्शिता, एक के बाद एक ट्रांसफर से स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार नज़र आ रहा है।
"काला पानी” क्यों बना देवगांव और सुनबा?
स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि देवगांव और सुनबा की सजा सिर्फ दूरदराज इलाकों के कारण नहीं, बल्कि मौके का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार की खुली छूट देने के लिए दी जाती है। यह स्थान ऐसे हैं जहाँ निरीक्षण और निगरानी मुश्किल है, इसलिए वहां नियुक्ति या स्थानांतरण सिर्फ 'नाराजगी' जताने या 'डील' करने का तरीका बन चुका है।
ट्रांसफर पोस्टिंग की ऐसी बाढ़ के पीछे कर्मचारी गंभीर भ्रष्टाचार की आशंका जता रहे हैं। कई कर्मचारी खुलकर तो नहीं बोलते, लेकिन दबी ज़ुबान में कहते हैं की पूर्व सीएमओ डॉ. हरी ओम श्रीवास्तव भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े गए थे, लेकिन तब भी इतनी धड़ाधड़ ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं हुई थी।स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ 'फार्मासिस्ट और कर्मचारी' हैं, लेकिन अयोध्या में उन्हें मनोवैज्ञानिक दबाव, डिप्रेशन और भ्रष्ट तंत्र में झोंक कर व्यवस्था को बीमार बना दिया गया है।अगर यह खेल नहीं रुका, तो अयोध्या के सीएचसी केंद्र सेवा के नहीं, सिर्फ सत्ता और सौदेबाज़ी के प्रतीक बनकर रह जाएंगे।
