संघ ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाया है: डॉ. पवनपुत्र बादल

संघ ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाया है: डॉ. पवनपुत्र बादल
X

अखिल भारतीय साहित्य परिषद संगोष्ठी में संघ साहित्य पर गहन चर्चा

लखनऊ में अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अवध प्रांत द्वारा आयोजित चार सत्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साहित्य और वैचारिक योगदान पर विचार विमर्श किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. पवनपुत्र बादल ने कहा कि संघ ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वैचारिक क्षेत्र में काम करने वालों की जिम्मेदारी है कि वे संघ साहित्य पर शोध करें और भ्रांतियों को दूर करें।

संगोष्ठी का आयोजन

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विद्वानों ने संघ साहित्य पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। उद्घाटन सत्र में डॉ. कुमार तरल, राजीव वर्मा वत्सल और द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने स्वागत और वाणी वन्दना प्रस्तुत की।

प्रमुख सत्र और विमर्श

प्रथम सत्र में प्रान्त अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने साहित्यकारों से संघ साहित्य का प्रचार प्रसार, नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने और राष्ट्रनिष्ठ साहित्य सृजन करने का आह्वान किया। नवमनोनीत राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल का गृह प्रांत इकाई द्वारा अभिनन्दन किया गया।द्वितीय सत्र में प्रो. रीता तिवारी की अध्यक्षता में विद्वानों ने विभिन्न पुस्तकों के माध्यम से संघ साहित्य पर अपने विचार रखे। तृतीय सत्र में डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी, डॉ. महेन्द्र सिंह और आदर्श द्विवेदी ने समग्र चिन्तन प्रवाह पर पुस्तक केन्द्रित चर्चा की।

समापन और भविष्य की दिशा

चतुर्थ सत्र में डॉ. पवनपुत्र बादल ने आगे की दिशा पर पाथेयक प्रदान किया। आभार ज्ञापन सर्वेशम पाण्डेय ‘विभी’ ने किया। सम्मेलन में अनेक विद्वान और साहित्यिक प्रमुख उपस्थित रहे, जिनमें शिवमंगल सिंह मंगल, मनमोहन बाराकोटी, डॉ. एस. के. गोपाल, डॉ. कुमुद पाण्डेय, सुशील वर्मा, ममता पंकज आदि शामिल थे।

Next Story