2027 की तैयारी: पुराने नेताओं को साथ लाने में जुटी सपा

जेल से रिहाई के बाद आजम और अखिलेश की दूसरी मुलाकात
राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। आजम खान की अपने आवास पर हुई इस मुलाकात को दोनों नेताओं के बीच पिछले महीनों में बढ़ी दूरी और गिले-शिकवे मिटाने का संकेत माना जा रहा है।
मुलाकात के बाद बोले आजम
मुलाकात के बाद आजम खान ने मीडिया से कहा, "मेरा उस घर से 50 सालों का रिश्ता है। इसे कमजोर होने या टूटने में सदियां लगती हैं।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिश्तों में छोटे-मोटे विवाद होने पर वह खुद ही उसे सुलझा लेते हैं और अपनी अगली पीढ़ी को साथ लेकर चलते हैं।
संगठन को मजबूत करने की कवायद
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बैठक समाजवादी पार्टी की 2027 की तैयारी का संकेत है। पार्टी अब पुराने नेताओं और अनुभवी चेहरों को फिर से साथ लाकर अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। आजम खान ने बिहार विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के आरजेडी के पक्ष में प्रचार-प्रसार के सवाल पर कहा कि अखिलेश पूरी मेहनत कर रहे हैं और उम्मीद है कि बिहार में हालात बदलेंगे।
आजम ने यह भी याद दिलाया
आजम ने यह भी याद दिलाया कि जब वे केवल विधायक थे, तब उन्हें यह भी नहीं पता था कि सरकार चलाने का काम कितना चुनौतीपूर्ण होता है। "हम बस यह देखते थे कि वहां बैठे व्यक्ति की आंखें नम तो नहीं हैं, अगर हैं तो उनके आंसू पोंछते, और अगर कोई बेसहारा है तो सरकार उसका सहारा बने,"
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात सपा के लिए संगठनात्मक मजबूती और आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में एकजुटता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है। इसके साथ ही पार्टी पुराने नेताओं के अनुभव और युवा नेतृत्व को संतुलित करके राजनीतिक रणनीति को और मजबूत करना चाहती है।इस बैठक से स्पष्ट संकेत मिलता है कि समाजवादी पार्टी अब 2027 की तैयारी के लिए अपने पुराने नेताओं और अनुभवी नेताओं को केंद्र में रखकर संगठन को एकजुट करने पर जोर दे रही है।
