Jamiat Ulema e Hind: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने के खिलाफ कोर्ट जाएगी जमीयत, बैठक में फैसला

अरशद मदनी (Pic: Social Media)
Jamiat Ulema e Hind: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कराए जाने के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद अब अदालत का दरावाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है। जमीयत ने अपने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते 20 दिसंबर को मदरसों पर कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया था। हालांकि उसके बाद भी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद किया जा रहा है। जमीयत ने बताया कि प्रदेश में 200 से अधिक मदरसों को बंद कर दिया गया है, जो कि संविधान के खिलाफ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
यह फैसला जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की लखनऊ में हुई बैठक में लिया गया है। जमीयत के विधिक सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि लखनऊ में हुई बैठक प्रांतीय अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने की कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही मौलाना ने बताया कि साल 2014 में उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की पीठ ने मदरसों को संरक्षण दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने की कार्रवाई को रोकने का आदेश दिया था। हालांकि सरकार के निर्देश के अनुसार काम नहीं किया जा रहा है।
200 से अधिक मदरसे बंद
मौलाना काब रशीदी ने कहा कि जिस तरह गैर मान्यता प्राप्त इस्लामी शिक्षण संस्थानों को बंद किया जा रहा है वह कानून के खिलाफ है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रशासन ने अवैध कब्जे और बिना मान्यता के मदरसा संचालित करने का आरोप लगाकर 200 से ज्यादा मदरसों को बंद कर दिया है। उन्होंने बहराइच, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, पीलीभीत, श्रावस्ती और लखीमपुर खीरी में मदरसों के बंद होने की बात कही। इन जिलों में कुछ नेपाल से भी सटे हैं। अब इन मदरसों को बंद होने से बचाने के लिए जमीयत इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती देगा।
