UP NEWS: "फिरोज बना कृष्णा" आत्मा की पुकार पर लौट आया सनातन में

स्वदेश संवाद : अयोध्या। राम की नगरी में एक अनोखी आध्यात्मिक यात्रा ने सबका ध्यान खींचा है। मिठाई की दुकान पर कार्यरत एक मुस्लिम युवक फिरोज ने मंदिर में विधिपूर्वक सनातन धर्म को अपनाया। अब उसका नया नाम है कृष्णा यादव।
भरतकुंड के महंत परमात्मा दास के सान्निध्य में यज्ञोपवीत, संकल्प और हवन के साथ धर्म दीक्षा हुई। कृष्णा को हनुमान चालीसा, गंगा जल, और तुलसी की माला भेंट की गई। मंदिर में भजन गूंज उठे और मिठाई बांटी गई।
महंत परमात्मा दास बोले
"यह कोई साधारण घटना नहीं, यह आत्मा की पुकार है। धर्म किसी जाति या जन्म से नहीं, भाव और श्रद्धा से तय होता है।"
कृष्णा यादव बोले
"मैंने वर्षों तक आत्मिक शांति को तरसा, पर जब पहली बार श्रीरामचरितमानस को पढ़ा और आरती में बैठा, तो लगा जैसे कोई खोया हुआ हिस्सा वापस मिल गया हो। यही मेरा घर है, यही मेरी आत्मा का धर्म।"
बहन शबनम की प्रतिक्रिया
कृष्णा की बहन शबनम, जो रायपुर रोड पर अपने मकान में रहती हैं, ने कहा—"हमारे मां-बाप नहीं रहे, वह अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है। अगर उसे इसमें सुकून मिला है, तो मैं उसका विरोध क्यों करूं? खुदा ने चाहा तो मैं भी कभी उसका मंदिर देखूंगी।"
कृष्णा न तो किसी प्रचार से प्रभावित हुआ, न किसी दबाव में। सनातन धर्म की सहिष्णुता, प्रकृति से जुड़ाव, और गूढ़ दर्शन ने उसे भीतर तक बदल डाला। कृष्णा अब मंदिरों में घंटा बजाता है, आरती करता है, और रोज़ तुलसी को जल देता है। वो कहता है "मेरा नाम अब सिर्फ कृष्णा नहीं, मेरी आत्मा भी अब कृष्ण के चरणों में है।"
यह सिर्फ धर्मांतरण नहीं, आत्मबोध की यात्रा है। एक मुस्लिम युवक से कृष्णा बनने की ये कहानी सांप्रदायिकता के धुएं में बुझी रोशनी की लौ है।
