कफ सिरप सिंडीकेटः पांच राज्यों तक बढ़ा ईडी का जांच दायरा, 118 एफआईआर दर्ज

कफ सिरप सिंडीकेटः पांच राज्यों तक बढ़ा ईडी का जांच दायरा, 118 एफआईआर दर्ज
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नशीले कफ सिरप मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का दायरा लगातार बढ़ रहा है। ईडी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक फैले इस सिंडीकेट की जांच करेगा। इसके लिए ईडी ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) से अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है।

ब्योरे के आधार पर कोडीनयुक्त कफ सिरप का निर्माण करने वाली कंपनियों और फर्मों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। साथ ही, सिंडीकेट की मदद करने वाले एफएसडीए के अधिकारियों को भी चिन्हित किया जा रहा है।

ईडी ने यूपी के कई शहरों में दर्ज 30 से अधिक एफआईआर के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। ईडी अधिकारियों ने मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के वाराणसी आवास पर समन चस्पा कर उसे 8 दिसंबर को तलब किया है।

एफएसडीए को पत्र लिखकर अब तक की कार्रवाई का ब्योरा भी मांगा गया है। एफएसडीए ने इस मामले में एक दर्जन से अधिक जिलों की फर्मों के खिलाफ 118 एफआईआर दर्ज कराई हैं। जांच में सामने आया कि कई जगहों पर फर्जी फर्मों का संचालन हो रहा था, जो महज बिलिंग पॉइंट के रूप में कार्यरत थीं। इन फर्मों के माध्यम से अब तक अरबों रुपये मूल्य के कफ सिरप की तस्करी की जा चुकी है।

जांच में यह भी सामने आया कि हिमाचल प्रदेश की दो, उत्तराखंड की तीन और हरियाणा व झारखंड की एक-एक निर्माता कंपनियों से कफ सिरप खरीदकर उसका बड़े पैमाने पर तस्करी के लिए डायवर्जन किया जा रहा था। लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर, खीरी, बहराइच आदि जिलों से कफ सिरप नेपाल भेजा गया, जबकि बनारस और गाजियाबाद की फर्में इसे बांग्लादेश भेज रही थीं। खासकर झारखंड की कंपनी बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही थी, जिसका सुपर स्टॉकिस्ट मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल की फर्म सैली ट्रेडर्स थी।

लखनऊ में नशीले कफ सिरप सिंडीकेट का अहम सदस्य आजमगढ़ निवासी विकास सिंह नरवे एसटीएफ को लगातार चकमा दे रहा है। एसटीएफ बीते पांच दिन से पूर्वांचल के कई जिलों में उसकी तलाश कर रही है, लेकिन उसका कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा। सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ की टीम जिस लोकेशन पर उसे तलाशने पहुंचती है, उससे पहले ही वह फरार हो जाता है।

सिंडीकेट के सरगना शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह की तरह नरवे भी पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी है। अमित सिंह टाटा के गिरफ्तार होने के बाद उसने कबूला था कि विकास सिंह नरवे ने उसकी मुलाकात शुभम जायसवाल से कराई थी। ऐसा ही बयान बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने भी एसटीएफ को दिया है।

नरवे चुनाव लड़ने की फिराक में था और पूर्वांचल के बाहुबलियों से संपर्क बनाए रखते हुए आजमगढ़ में अपना दबदबा कायम कर रहा है। अब एसटीएफ उसकी तलाश में आजमगढ़ से लेकर लखनऊ तक छापे मार रही है। उसकी दुबई भाग जाने की भी आशंका जताई जा रही है।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला के लोकसभा चुनाव के दौरान विकास सिंह जौनपुर में सक्रिय था और अपने लाव-लश्कर के साथ लगातार प्रचार कर रहा था। उसे आखिरी बार राजधानी के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती देखा गया था। इसके अलावा विकास सिंह, गौरव जायसवाल समेत कई अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

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