Justice Yashwant Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग के फैसले का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने किया समर्थन

Justice Yashwant Verma
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प्रयागराज, उत्तरप्रदेश। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग चलाने के केंद्र के कदम का स्वागत किया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अमुसार, केंद्र सरकार कैश कांड मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग चला सकती है। बार एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि, इससे न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बढ़ेगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने गुरुवार को कहा, "इस कदम (महाभियोग) से न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बढ़ेगा। अगर जज भ्रष्ट हो गए तो लोगों का कोर्ट पर से भरोसा उठ जाएगा। कोर्ट के अस्तित्व के लिए जरूरी है कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो। यहां सवाल जस्टिस यशवंत वर्मा का नहीं है, बल्कि सवाल कोर्ट के अस्तित्व, लोगों के भरोसे और लोकतंत्र का है। अगर न्यायपालिका पर से भरोसा उठ गया तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।"

14 मार्च की शाम को न्यायमूर्ति वर्मा के घर में आग लगने के बाद कथित तौर पर दमकलकर्मियों द्वारा बेहिसाब नकदी बरामद की गई थी। न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी उस समय दिल्ली में नहीं थे और मध्यप्रदेश में यात्रा कर रहे थे। आग लगने के समय घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां ही थीं। बाद में एक वीडियो सामने आया जिसमें आग में नकदी के बंडल जलते हुए दिखाई दे रहे थे।

इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिन्होंने आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश लगती है। इसके बाद सीजेआई ने आरोपों की आंतरिक जांच शुरू की और जांच के लिए 22 मार्च को तीन सदस्यीय समिति गठित की।

जस्टिस वर्मा की जांच करने वाली समिति में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं।

इस समिति ने 25 मार्च को जांच शुरू की और 4 मई को सीजेआई खन्ना को अपनी रिपोर्ट सौंपी। सूत्रों के अनुसार, आंतरिक समिति की रिपोर्ट मिलने पर सीजेआई खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने या महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने को कहा।

हालांकि, चूंकि जस्टिस वर्मा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया, इसलिए सीजेआई खन्ना ने जज को हटाने के लिए रिपोर्ट और उस पर जज के जवाब को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया। आरोपों के बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया।

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