J&K में स्क्रीनिंग के लिए गई मेडिकल टीम को बनाया बंधक, छुड़ाने गई पुलिस पर भी पथराव

J&K में स्क्रीनिंग के लिए गई मेडिकल टीम को बनाया बंधक, छुड़ाने गई पुलिस पर भी पथराव

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के वाथुरा गांव के शेखपोरा में घर के अंदर एक मेडिकल टीम को बंधक बना लिया गया। बताया जा रहा है कि यह मेडिकल टीम एक व्यक्ति की स्क्रीनिंग करने के लिए गए थी। जब मेडिकल टीम को छुड़ाने के लिए पुलिस की टीम गई तो लोगों ने उस पर भी पथराव किया। पुलिस ने इस मामले में IPC की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।

पुलिस का कहना है कि एक व्यक्ति को स्क्रीनिंग के लिए लेकर जाना था लेकिन उसके परिवार ने मना कर दिया और मेडिकल टीम को अपने घर के अंदर बंधक बनाकर रखा। उन्हें छुड़ाने के लिए पुलिस गांव में गई लेकिन उन पर पत्थरों से हमला किया गया। लेकिन मेडिकल टीम को पुलिस ने सुरक्षित बचा लिया।

पुलिस का कहना है कि मेडिकल टीम को छुड़ाने के लिए एक टीम को घटनास्थल पर भेजा गया था, लेकिन उन पर पथराव किया गया जिसमें 3 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

जम्मू-कश्मीर की जेलों में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंद किए गए 22 सहित 65 कैदियों को कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिहा कर दिया गया। जेलों के महानिदेशक ने जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सौंपी एक लिखित रिपोर्ट में यह जानकारी दी। मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की पीठ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नोबेल कोरोना वायरस के प्रसार से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर कैदियों को रिहा करने से संबंधित रिपोर्ट का भी अदालत ने आकलन किया। महानिदेशक ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से पीठ को अवगत कराया कि 7 अप्रैल को उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा विचार-विमर्श के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत 22 बंदियों, 32 विचाराधीन के अलावा सीआरपीसी की धारा 107,109,151 के तहत बंद नौ विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है। और 19 अन्य कैदियों को पैरोल की मंजूरी दी गई है।

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