तानसेन समारोह को वैश्विक पहचान दिलाने की तैयारी कब?

ग्वालियर में इस वर्ष तानसेन समारोह का 101वां आयोजन 15 से 19 दिसंबर तक आयोजित होगा। वहीं, 9 दिसंबर से दतिया में संगीत साधना का पर्व 'पूर्वरंग' कार्यक्रम शुरू हो गया।
जानकारों का मानना है कि यदि इन आयोजनों को प्रदेश की विरासत, इतिहास और पर्यटन स्थलों के साथ योजनाबद्ध तरीके से जोड़ा जाए, तो यह मध्यप्रदेश को उन देशों की पंक्ति में खड़ा कर सकता है, जहां संगीत पर्यटन (म्यूजिक टूरिज्म) क्षेत्रीय पहचान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है। दुनिया के कई उदाहरण बताते हैं कि संगीत उत्सव केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि शक्तिशाली पर्यटन उद्योग का आधार भी बन सकते हैं।
विश्व स्तर पर संगीत और पर्यटन का उदाहरण
ऑस्ट्रिया में हर वर्ष आयोजित होने वाला साल्जबर्ग महोत्सव करीब 3 लाख से अधिक दर्शकों को आकर्षित करता है। ऐतिहासिक गलियों, किलों और प्राचीन सभागारों में होने वाला यह उत्सव शहर की पहचान बन चुका है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भारी योगदान देता है। जर्मनी के मोजार्ट महोत्सव, बुर्जबर्ग शहर में शास्त्रीय संगीत का एक चार-सप्ताह का वार्षिक उत्सव है। यह जर्मनी में मोजार्ट के संगीत को समर्पित सबसे पुराना उत्सव है। यह उत्सव यूनेस्को विश्व धरोहर बुर्जबर्ग निवास की इमारत और उद्यानों में आयोजित किया जाता है। इसमें हर साल हजारों विदेशी संगीत प्रेमी भाग लेते हैं, जो यूरोपीय स्थापत्य और संगीत परंपरा का दुर्लभ संगम अनुभव करते हैं।
इसी तरह इटली में 'नोटे डेला टारेंटा' और मलेशिया में 'रेनफॉरेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल' ने लोक-संगीत और सांस्कृतिक धरोहर को पर्यटन का केंद्रबिंदु बनाकर अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अपना प्रभाव स्थापित किया है। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि सुव्यवस्थित आयोजन, मजबूत ब्रांडिंग और सांस्कृतिक विरासत का संयोजन किसी भी क्षेत्र को वैश्विक आकर्षण में बदल सकता है।
ग्वालियर और दतिया की सांस्कृतिक धरोहर
ग्वालियर, जिसे भारतीय शास्त्रीय संगीत की जन्मभूमियों में गिना जाता है, आज भी तानसेन की स्मृति में रची-बसी है। तानसेन समारोह के दौरान देश-विदेश के कलाकार जब सुरों का संगम रचते हैं, तो ग्वालियर एक जीवित विरासत की तरह सामने आता है।
दतिया, अपने भव्य बीरसिंह देव महल, पीताम्बरा पीठ और लोक परंपराओं के कारण सांस्कृतिक यात्रियों के लिए विशेष आकर्षण है। यदि इन दोनों स्थानों को एक संगीत-पर्यटन मार्ग के रूप में विकसित किया जाए, तो यह क्षेत्र भारत के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक गलियारों में बदल सकता है।
तानसेन समारोह को पर्यटन के साथ जोड़ने से स्थानीय कलाकारों, हस्तशिल्पकारों, गाइडों, होटलों, परिवहन सेवाओं और सांस्कृतिक समूहों को बड़े स्तर पर लाभ मिल सकता है। यूरोप की तर्ज पर आर्ट वॉक, हेरिटेज टूर, कलाकारों के घर पर रियाज का अनुभव, सांस्कृतिक कार्यशालाएं और स्थानीय संगीत परंपराओं पर विशिष्ट सत्र जैसे कार्यक्रम समारोह को नया आयाम दे सकते हैं।
ग्वालियर किला, जयविलास पैलेस, सूर्य मंदिर, तेली का मंदिर, दतिया का राजमहल और कर्ण सागर जैसे पर्यटन स्थल यदि समारोह के साथ जोड़ दिए जाएं, तो यह संपूर्ण क्षेत्र एक जीवंत सांस्कृतिक कैनवास में परिवर्तित हो सकता है।
मध्यप्रदेश के पास वह सब कुछ है जो किसी विश्व संगीत उत्सव के लिए आवश्यक है-विरासत, इतिहास, संगीत परंपरा, कलाकार और दर्शक। बस आवश्यकता है उस व्यापक दृष्टि की, जो इन सबको एक संगठित परियोजना में बदल सके। यदि तानसेन समारोह की ब्रांडिंग वैश्विक स्तर पर की जाए, इसके लिए विशेष टूर पैकेज बनाए जाएं, और अंतरराष्ट्रीय संगीत प्रेमियों तक इसका प्रचार किया जाए, तो ग्वालियर-दतिया क्षेत्र शीघ्र ही विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र पर अपनी चमक मजबूत कर सकता है।
