संतोष वर्मा को IAS अवॉर्ड दिलाने वाले अधिकारियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

ब्राह्मण बेटियों को लेकर विवादित बयान देने के बाद चर्चा में आए आईएएस संतोष वर्मा के साथ-साथ उन्हें आईएएस अवॉर्ड दिलवाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2019 में वर्मा को आईएएस अवॉर्ड देने के लिए जब विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक हुई, उस समय उनके खिलाफ दर्ज अपराधिक प्रकरण की जानकारी छुपाई गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसे पुलिस दस्तावेज़ तैयार कराए, ताकि अवॉर्ड प्रक्रिया में कोई अड़चन न आए।
अपराध दर्ज होने के बावजूद अवॉर्ड दिलवाया गया
संतोष वर्मा को अवॉर्ड दिलाने में तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग) दीप्ति गौड़ मुखर्जी और अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि वर्मा के पक्ष में फर्जी आदेश देने वाले न्यायाधीश पर कार्रवाई हो चुकी है। इसके बाद वर्मा को फर्जीवाड़े के आरोप में निलंबित किया गया और जेल भी भेजा गया। ऐसे में अब वर्मा का आईएएस अवॉर्ड छिनने की संभावना है।
अवॉर्ड दिलाने में इनकी भूमिका
जानकारी के अनुसार, वर्मा को आईएएस अवॉर्ड दिलाने में 21 आईएएस अधिकारियों के अलावा कई जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी रही। इन अधिकारियों और नेताओं की सहमति या मौन समर्थन से वर्मा को अवॉर्ड मिला और बाद में निलंबन के बावजूद बहाली तक का रास्ता साफ किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि अपराध दर्ज होने के बावजूद वर्मा को अवॉर्ड देने की प्रक्रिया संवैधानिक और प्रशासनिक रूप से विवादास्पद मानी जा सकती है।
बहाली से अवॉर्ड तक
वर्मा का नाम 2019 में आईएएस पदोन्नति के लिए शामिल किया गया था, जबकि उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण चल रहा था। उस समय राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पदोन्नति समिति के अध्यक्ष थे।8 अक्टूबर 2020 को वर्मा ने न्यायालय का आदेश विभाग में पेश किया, जिसमें उन्हें दोषमुक्त किए जाने का उल्लेख था। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंदौर से अपील में जाने के संबंध में राय मांगी गई। कथित तौर पर तत्कालीन लोक अभियोजक की राय का हवाला देकर अपील में जाने से इंकार कर दिया गया।केंद्रीय कार्मिक विभाग को 12 दिसंबर को भेजे गए राज्य पत्र में भी इस मामले की जांच का उल्लेख किया गया है। पत्र में सवाल उठाया गया है कि निचले स्तर के अधिकारी को लिखे पत्र का जवाब वरिष्ठ स्तर के अधिकारी से क्यों मिला।
आरोप और विवाद
वर्मा पर आरोप हैं कि उन्होंने 2019 में आईएएस पदोन्नति के लिए आवेदन किया, जबकि उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज था। बाद में फर्जी न्यायालय आदेश का इस्तेमाल कर अवॉर्ड दिलवाया गया। इसके बाद उनके खिलाफ अपराधिक केस दर्ज हुआ और उन्हें गिरफ्तार कर निलंबित किया गया। 2022 में वर्मा ने कैट में अपील की और राहत प्राप्त की।पिछले महीने 23 नवंबर को अजावस कार्यक्रम में दिए गए विवादित बयान के बाद वर्मा का विरोध विधानसभा से लेकर लोकसभा स्तर तक जारी है।मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को वर्मा को बर्खास्त करने या न करने का प्रस्ताव भेजा है। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार ही करेगी।
