स्वदेशी अर्थ का नहीं, स्वाभिमान का आंदोलन- अशोक पांडेय

राजधानी में 11 दिवसीय स्वदेशी मेले का शुभारंभ
“स्वदेशी अर्थ का नहीं, स्वाभिमान का आंदोलन है।” यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यभारत प्रांत के प्रांत संघचालक अशोक पांडेय का। वे स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित 11 दिवसीय स्वदेशी मेले के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
स्वदेशी आंदोलन है आत्मसम्मान की पहचान
उन्होंने इज़राइल और जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन समाजों और देशों ने अपने ‘स्व’ को समझा है, वे तरक्की कर रहे हैं। अपने संबोधन में ‘स्व’ का अर्थ समझाते हुए उन्होंने कहा कि स्वदेशी के बजाय विदेशी सामानों पर निर्भरता से न केवल हमारा धन विदेशों में जाता है, बल्कि यह हमारी मानसिक विपन्नता को भी दर्शाता है।
‘स्व’ को समझने वाले देश ही करते हैं प्रगति
अशोक पांडेय ने कहा कि स्वदेशी वस्तुएं विदेशी वस्तुओं की तुलना में महंगी हो सकती हैं, लेकिन उनमें निहित ‘स्व’ का भाव हमारी सामाजिक और आर्थिक सक्षमता के द्वार खोल देता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत से पहले स्वदेशी आंदोलन ने लोगों को एकजुट किया था, और आज भी अमेरिकी व यूरोपीय बाजारवाद के खिलाफ इसकी जरूरत बनी हुई है।
वक्ताओं ने दिया स्वदेशी पर जोर
कार्यक्रम में विधायक रामेश्वर शर्मा, परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष विष्णु राजौरिया, दौलतराम इंजीनियरिंग के मुखिया सी.पी. शर्मा, स्वदेशी जागरण मंच के सह-समन्वयक जितेंद्र गुप्ता और मेला संयोजक सतीश विश्वकर्मा ने अपने उद्बोधन में स्वदेशी के भाव पर जोर दिया। इस अवसर पर संगठन के क्षेत्रीय संयोजक सुधीर दाते, श्रीकांत बुधौलिया, मेला सह-संयोजक सुशील अग्रवाल और सीमा भारद्वाज प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
एसआईआर को बताया स्वदेशी आंदोलन
विधायक रामेश्वर शर्मा ने निर्वाचन आयोग द्वारा कराई जा रही एसआईआर यानी विशेष गहन पुनरीक्षण की कार्रवाई को भी स्वदेशी आंदोलन बताया। उन्होंने कहा कि यह शुद्धिकरण का प्रयास है, इसलिए अपने दस्तावेज संभालकर रखें। उन्होंने आगे कहा कि भारत आज रामराज्य की परिकल्पना को साकार कर रहा है। जो कभी कहते थे कि देश में सुई तक नहीं बनती, उन्हें अब जान लेना चाहिए कि भारत आज मिसाइलें बना रहा है और उनका उपयोग भी कर रहा है।
150 से अधिक स्टॉलों से सजा स्वदेशी बाजार
स्थानीय व्यापारियों द्वारा लगाए गए करीब 150 से अधिक स्टॉलों से यह स्वदेशी मेला सजा है। 16 नवंबर तक यहां बनाए गए तीन बड़े पंडालों में रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं से जुड़ी दुकानें लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनमें कपड़े, किताबें, सजावट की सामग्री, फूड जोन और मनोरंजन के लिए झूले भी लगाए गए हैं।
वैदिक रीति से हुआ मेले का शुभारंभ
मेले का शुभारंभ वैदिक रीति से किया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय और दत्तोपंत ठेगड़ी के छायाचित्रों के समक्ष अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया। स्वस्तिवाचन के दौरान पंडितों ने शंखनाद किया। इसके बाद खुशाली विश्वकर्मा द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत की गई।
