स्वदेश विशेष: मांडव में तैयार होते सनातन के जनजाति बटुक

(डॉ अजय खेमरिया) : मध्यप्रदेश। 11 साल के रोहित अपने 14 बर्षीय भाई के साथ रुद्री पाठ का अभ्यास कर रहे हैं। दोनो रतलाम जिले के जनजाति समुदाय से आते हैं।वेदपाठी बटुक दोनों भाई गृह प्रवेश से लेकर जनेऊ संस्कार की कर्मकांड विधि भी सीख रहे हैं। दीपक,मनीष,शकंर,गोलू,मोनू,समेत 51 बटुक विद्यार्थी नर्मदा अष्टकम से लेकर सनातन संस्करो से जुड़े सभी प्रमुख कर्मकांड सीख रहे हैं। सनातन हिन्दू समुदाय की करीब 12 अलग अलग जातियों से आने वाले इन बालकों को अपनी जाति सा जुड़ा कोई निम्नताबोध या श्रेष्ठता का भान नही है।
मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित प्रसिद्ध पयर्टक स्थल मांडू (मांडव) में स्थित श्री चतुर्भुज राममंदिर में यह आवासीय गुरुकुल संचालित हैं।मंदिर के प्रमुख न्यासी महामंडलेश्वर डॉ नरसिंहदास महाराज के संरक्षण में अब तक करीब दो हजार ऐसे बच्चों को वैदिक रीतिरिवाजों और कर्मकांड से सुशिक्षित करके समाज में भेजा जा चुका है।500 साल पुराने इस मंदिर में अंचल के 50 से ज्यादा ऐसे बच्चे इस समय अध्ययनरत है जिनके माता पिता नही हैं या एकल अभिभावक हैं।खासबात यह कि यहां कोई जाति भेद नही है और वैदिक शिक्षा के साथ बच्चों को आधुनिक एनसीईआरटी की पढ़ाई भी कराई जा रही है।बकायदा सभी बच्चे स्कूल भी जाते हैं, रविन्द्र कटारे,पूजा पाल सहित तीन स्थानीय शिक्षक गुरुकुल में नियमित स्कूली पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए आते हैं।
9 साल के सूरज कटारे जनजाति हैं लेकिन वे हनुमान चालीसा से लेकर रुद्राष्टकम तक एक सांस में सुना देते हैं।सूरज बड़े होकर सनातन धर्म के प्रचारक बनना चाहते हैं।गुरुकुल में उन्हें खूब आनन्द आ रहा है वह अंग्रेजी और गणित भी सीख रहे हैं।
14 साल के दक्ष मुख्य मंदिर की ड्यूटी में रहते हैं करीब 3 साल पहले उनकी माँ का देहांत हो गया।वह गांव में इधर उधर भटकते रहते थे एक दिन उनके परिजन उन्हें इस चतुर्भुज गुरुकुल में छोड़ गए अब दक्ष एक स्थापित पुरोहित बनने की स्थिति में हैं।वह बातचीत में बड़ी महत्वपूर्ण बात कहते है”अगर हम अपने धर्म से जनजाति को जोड़कर नहीं रखेंगे तो दूसरे लोग उन्हें अपने मे मिला लेंगे,इसलिए मैं बड़ा होकर सनातन धर्म के लिए काम करना चाहता हूं।अब मैं सभी पूजा पाठ सीख गया हूँ और समाज के लिए काम करूंगा”
मनावर के ढ़ोंगचर गांव से आये बुजुर्ग दम्पति गलचन्द और भगवती भिलाला अपने पोते को नरसिंहदास जी के यहां छोड़ने आये हैं।दोनों बताते हैं कि हमारे आसपास मिशनरी काम कर रहे हैं लेकिन हम अपने परिवार को धर्म से दूर नही जाने देना चाहते हैं अपने जिस नाती को वह छोड़ने आये है उसके पिता मिशनरीज के स्कूल में पढ़े हैं लेकिन भगवती अपने नाती के लिए चिंतित है इसलिए वह चतुर्भुज मंदिर में उसे दाखिला कराकर वापिस जा रही है।भगवती के गांव के तीन बच्चे इसी गुरुकुल में पढ़ रहे हैं।
5 घंटे शास्त्र और कर्मकांड की शिक्षा
चतुर्भुज श्री राम मंदिर में आचार्य महेंद्र एवं शुभम बच्चों को शास्त्रों की शिक्षा प्रदान करते हैं।बच्चों की दिनचर्या सुबह 05 बजे से आरम्भ होती है और रात 8 बजे तक चलती है।12 बजे से साढ़े चार बजे तक स्कूली शिक्षा का क्रम चलता है।शिक्षक रविन्द्र कटारे बताते है कि शास्त्र पढ़ने वाले ये सभी बच्चे अन्य स्कूली बच्चों की तुलना में गणित,विज्ञान और भाषा संबधी पाठ्यक्रम को तेजी से समझ रहे हैं।बकौल शिक्षिका पूजा पाल गुरुकुल के बच्चे अनुशाषित भी अधिक है।
घर वापिसी से ज्यादा घर बचाने की चिंता: डॉ नरसिंहदास
चतुर्भुज मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख प्रमुख महामण्डलेश्वर डॉ नरसिंहदास जी कहते हैं कि कन्वर्जन ने इस पूरे क्षेत्र में गंभीर हालत निर्मित कर दिए हैं।हम अब अपना घर सुरक्षित करने की रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं।समाज में सनातन मतालंबी अपनी जड़ों से जुड़े रहें इसके लिए काम करने की आवश्यकता है। जातिभेद सनातन का हिस्सा नही है।शास्त्र सबके हैं जो उन्हें अंतःकरण से अपनाना चाहता है।हम जनजाति को फोकस कर सनातन के प्रति आस्थामूलक अभियान चला रहे हैं। हर मंगलवार हनुमान चालीसा जनजाति घरों में जाकर कर रहे हैं।हमारे गुरुकुल से निकले बटुक समाज में सनातन की ध्वजा लेकर काम कर रहे हैं। डॉ नरसिंह दास पेशे से इंजीनियर रहें हैं।
-स्वदेश अभिमत-
देश में इन दिनों इटावा की घटना को आधार बनाकर ब्राह्मण बनाम यादव के वामपंथी एजेंडे पर शोर मचा हुआ है।सोशल मीडिया इस दूषित विमर्श से अटा पड़ा है।सच्चाई यह है कि देश में सनातन मूल्यों पर केंद्रित सामाजिक समरसता के अनगिनत प्रकल्प चल रहे हैं।हमारी दृष्टि ऐसे कार्यों पर नही जाती है।आवश्यकता है प्रायोजित विमर्श को खारिज कर सनातन के चतुर्भुज राममंदिर जैसे प्रकल्पों को समाज में प्रतिष्ठित और सशक्त करने की।
