कानून का राज पूरी तरह से कमजोर: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती गैंगस्टर्स वारदातों पर जताई चिंता

Supreme Court
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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते गैंगस्टर मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है। शीर्ष अदालत ने माना है कि, बढ़ते हुए गैंगस्टर्स मामले आम नागरिकों के लिए इस ओर इशारा करते हैं कि, कानून का राज पूरी तरह से कमजोर हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "गवाह आपकी आंख और कान हैं। आप उनकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं? दिन-दहाड़े सड़क पर हत्या और सबूतों के अभाव में कोई बेखौफ छूट जाता है...आम आदमी की नजर में कानून का राज पूरी तरह से कमजोर है...गैंगस्टरों के साथ बेवजह सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। समाज को इनसे छुटकारा पाना होगा। एनसीआर, हरियाणा में क्या हो रहा है?"

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "एनसीआर में, दिल्ली के भौगोलिक क्षेत्र से बाहर जाकर देखिए कि फरीदाबाद, गुड़गांव आदि में क्या हो रहा है। आम आदमी को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया था जिसने पानीपत में एक हत्या की थी। इन गैंगस्टरों के प्रति बेवजह सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। समाज को इनसे छुटकारा पाना होगा।"

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा, देखिए, आम लोगों का विश्वास कम हो रहा है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत बोले कि, एनआईए का मामला देखिए... वहां भी हमने अपनी आपत्तियां व्यक्त की थीं। हमें आंध्र प्रदेश की सराहना करनी चाहिए जहां विशेष मामलों से निपटने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के साथ विशेष अदालतें स्थापित की गईं। प्राथमिकता वाली अदालतें मुकदमे को पूरा करने का प्रयास करती हैं।

इसके बाद जस्टिस बागची ने कहा कि, गवाहों को अपने पक्ष में करने और बरी होने के लिए हर मुकदमे में देरी की जाती है। यही रणनीति है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे अदालत ने एक दुर्दांत अपराधी बताया था और जिसके खिलाफ पहले 55 मामले दर्ज हैं। याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 307 और शस्त्र अधिनियम के तहत अपराधों से जुड़े एक मामले में जमानत मांगी थी।

याचिकाकर्ता रिकॉर्ड में रखे गए एक अतिरिक्त हलफनामे का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 288 मामले लंबित हैं और उनमें से 180 मामलों में अभी आरोप तय होने बाकी हैं। यह भी रेखांकित किया गया कि केवल 25 प्रतिशत मामलों में ही अभियोजन साक्ष्य शुरू होने की स्थिति तक पहुंच पाया है।

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