मटर का विकल्प बनेगा सोयाबीन जल्द तैयार होगी नई किस्म: मटर से दो गुना प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम व आयरन होगा ज्यादा

मटर से दो गुना प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम व आयरन होगा ज्यादा
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ग्वालियर: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जल्द ही सोयाबीन की नई किस्म तैयार करेंगे।

ग्वालियर। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जल्द ही सोयाबीन की नई किस्म तैयार करेंगे। इस तरह के सोयाबीन का उत्पादन विदेशों में तो होता है लेकिन यह भारत के लिए नया होगा। भारत के वातावरण में इसका उत्पादन किया जा सके इसके लिए वैज्ञानिक नई किस्म तैयार करेंगे। खास बात यह है कि यह मटर का विकल्प हो सकता है। क्योंकि मटर में जितना प्रोटीन, फायबर, कैल्शियम और आयरन पाया जाता है, उससे कहीं अधिक दो गुना यही कम्पोनेंट नये किस्म के इस सोयाबीन में उपलब्ध होता है। साथ ही इसका स्वाद मटर की तरह मीठा होता है और इसका दाना भी बड़ा होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होने के साथ-साथ किसान की आय को भी बढ़ाने में मदद करेगा। इस किस्म को आने में अभी तीन साल का वक्त लगेगा।

इन देशों में अलग अलग नाम से होती है खेती

इस किस्म के सोयाबीन का उत्पादन अलग अलग देशों में होता है। चीन, जापान, अर्जेंटीना, अमेरिका आदि देशों में इसकी खेती की जाती है। लेकिन अब इसका उत्पादन भारत में हो सकेगा क्योंकि भारत सरकार के मिनिस्ट्री आफ एग्रीकल्चर और मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय विकास योजना के अंतर्गत प्रदेश में किसानों के लिए लाभदायी विकल्प के रूप में सब्जी और खाद्य ग्रेड सोयाबीन प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए 8.12 करोड़ रूपये की राशि भी स्वीकृत कर दी है।


मिलकर करेंगे नई किस्म तैयार

मध्य प्रदेश सरकार ने इकीसेट इंटरनेशनल कॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दा सेमि एरिड टॉपिक्स हैदाराबाद का प्रोजेक्ट मंजूर किया है। राजमाता विजयाराजेे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटर साउथ एंड सेंट्रल एशिया हैदराबाद आईसीएआर का नेशनल सोयाबीन रिसर्च इंस्टीट्यूट इंदौर, डिपार्टमेंट आफ एग्रीकल्चर मध्य प्रदेश एवं लोकल फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन एफपीओ मिलकर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सोयाबीन की विभिन्न किस्में मिलकर तैयार करेंगे एवं किसानों को इसके उत्पादन से लेकर पैकेजिंग का तरीका भी सिखाया जाएगा तथा एक्सपोर्ट करने की जानकारी भी दी जाएगी। क्योंकि इस तरह के सोयाबीन की मांग देश दुनिया में सभी जगह है और इसे 200 रूपये प्रति किलो तक बेचा जाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के सोयाबीन की फली को मटर की फूली की तरह उपयोग में लिया जा सकता है। जिस तरह से मटर की हरी फली से दाना निकालकर उसकी सब्जी के रूप में सेवन किया जाता है ठीक वैसे ही इस सोयाबीन का उपयोग किया जाएगा। हरी फलियां जब 80 फीसद तैयार हो जाएं और उनमें दाना पड़ जाए तो उसे तोड़कर उपयोग में लिया जा सकेगा।

किस में कितना प्रोटीन, फाइबर, आयरन और कैल्शियम पाया जाता

इस किस्म के सोयाबीन की फसल 65 से 70 दिन में तैयार होगी।

- 100 ग्राम सोयाबीन में 16 से 17 ग्राम प्रोटीन पाई जाती है।

- 2 से 4 ग्राम आयरन

- 6 से 9 मिलीग्राम फाइबर

- 88 से 200 मिलीग्राम कैल्शियम

मटर की फसल भी 70 से 80 दिन में तैयार होती है।

- 100 ग्राम मटर में 5 से 8 ग्राम प्रोटीन

- 5 से 8 ग्राम फाइबर,

- 1 से 2 मिलीग्राम आयरन

- 20 से 40 मिलीग्राम कैल्शियम

इनका कहना है-

"इस किस्म के सोयाबीन का उत्पादन और सेवन विदेशों में होता है। अब इसका उत्पादन भारत में भी होगा इसके लिए वैज्ञानिक नई किस्म तैयार करने में जुटे हुए हैं। जो देश के वातावरण में अच्छी पैदावार दे सके। इस किस्म के सोयाबीन में मटर से अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं और स्वाद भी अच्छा है तथा किसान को इसके दाम भी अच्छे मिलेंगे इसलिए यह मटर का विकल्प हो सकता है।" - डा संजय शर्मा, डायरेक्टर आफ रिसर्च ग्वालियर

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