शहडोल में ' सरकारी महाभोज': एक घंटे में 40 हजार रुपए का बिल, 14 kg ड्राय फ्रूट और 6 लीटर दूध के साथ 5 किलो शक्कर डकार गए अधिकारी

एक घंटे में 40 हजार रुपए का बिल, 14 kg ड्राय फ्रूट और 6 लीटर दूध के साथ 5 किलो शक्कर डकार गए अधिकारी
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एक घंटे में 40 हजार रुपए का बिल, 14 kg ड्राय फ्रूट और 6 लीटर दूध के साथ 5 किलो शक्कर डकार गए अधिकारी - नेता

शहडोल, मध्यप्रदेश। शहडोल जिले की ग्राम पंचायत भदवाही में "गंगा संवर्धन अभियान" के तहत आयोजित एक घंटे के सरकारी कार्यक्रम ने सुर्खियां बटोर ली हैं। इस कार्यक्रम में नेता और अधिकारियों समेत करीब 50 लोग शामिल हुए लेकिन खाने-पीने का जो बिल सामने आया, उसने सबके होश उड़ा दिए। कुल 40 हजार रुपए का बिल, जिसमें लजीज व्यंजनों और मिठाइयों का ऐसा मेन्यू था कि लोग इसे "संवर्धन" कम और "महाभोज" ज्यादा बता रहे हैं।

क्या-क्या परोसा गया इस "संवर्धन" भोज में?

महज एक घंटे के इस आयोजन में मेहमानों ने जमकर स्वाद लिया।

मेन्यू में शामिल थे -

- 5 किलो काजू + 1 किलो

- 3 किलो किशमिश

- 5 किलो बादाम

- 30 किलो नमकीन + 3 किलो + 2 किलो

- 5 किलो शक्कर

- 6 लीटर दूध।

- 10 हज़ार का किराने का समान

- 50 प्लेट पूरी सब्ज़ी

- 100 पीस रसगुल्ला + 1 किलो मीठा

- पांच बोर पानी, आदि।

"गंगा संवर्धन" या "स्वाद संवर्धन"?

लोगों में इस भव्य भोज को लेकर चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस ने कहा कि, "शहडोल में स्कूल ऑयल पेंट घोटाले की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि अब जल गंगा संवर्धन अभियान में अफसरों ने गंगा में शक्कर घोल दी, वो भी पांच किलो। महज एक घंटे में चट कर गए 14 किलो ड्रायफ्रूट, और पी गए 6 लीटर दूध में 5 किलो शक्कर डालकर बनी चाय। ये जल गंगा अभियान था या अफसर भोज समारोह ?"

बिल देखकर यह तो नहीं बताया जा सकता कि, "गंगा जी का संवर्धन हुआ या नहीं लेकिन इतना तय है कि, नेताओं और अधिकारियों का पेट जरूर संवर्धित हो गया। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक घंटे में 50 लोग इतना खा कैसे सकते हैं? क्या ये सामान बाद में "पार्सल" हो गया?

पिछले हफ्ते भी शहडोल रहा चर्चा में

यह कोई पहली बार नहीं है जब शहडोल जिले के सरकारी खर्चों ने सवाल खड़े किए हैं। पिछले हफ्ते जिले के एक स्कूल में 4 लीटर पेंट करने के लिए करीब 200 मिस्त्री और मज़दूरों को काम पर लगाने का दावा किया गया था। इस अजीबोगरीब बिल की जांच के बाद स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया था। अब "गंगा संवर्धन" के इस शाही भोज ने फिर से प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

क्या यह कार्यक्रम वाकई गंगा संवर्धन के लिए था, या फिर इसका मकसद कुछ और था? जांच के नतीजे क्या होंगे, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन फिलहाल, शहडोल का यह "शाही भोज" पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कार्यक्रम 25 मई को आयोजित हुआ था। गंगा संवर्धन कार्यक्रम में कलेक्टर डॉ. केदार सिंह, जिला पंचायत सीईओ नरेंद्र सिंह, जयसिंह नगर की एसडीएम प्रगति वर्मा और जनपद सीईओ समेत कई अधिकारी शामिल हुए थे।

कार्यक्रम में शामिल कुछ अधिकारियों का कहना है कि, उन्हें कार्यक्रम में इतना ड्राय फ्रूट नहीं मिला था। बिल की जांच करके कार्यवाई करने की बात की जा रही है लेकिन यह तब हुआ है जब सोशल मीडिया पर यह बिल वायरल हुआ। बड़ा सवाल यह है कि, आखिर शहडोल से ऐसे कितने और बिल सामने आने बाकी हैं।

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