डिजिटल अरेस्ट हुआ रिटायर बैक अधिकारी, दिल्ली बम धमाके में मोबाइल नंबर आने का झांसा देकर 68 लाख हड़पे

डिजिटल अरेस्ट हुआ रिटायर बैक अधिकारी, दिल्ली बम धमाके में मोबाइल नंबर आने का झांसा देकर 68 लाख हड़पे
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शाहपुरा में बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक को डिजिटल अरेस्ट करके 68 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए गए। आरोपियों ने भोपाल पुलिस का अफसर बताकर वीडियो कॉल के जरिए दो दिनों तक उन्हें नजरबंद रखा। उन्हें बैंक से 68 लाख रुपए आरटीजीएस करने के बाद छोड़ा गया। इस मामले में भोपाल राज्य साइबर क्राइम के अधिकारियों ने प्रकरण दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है।

पुलिस के अनुसार, शाहपुरा थाना क्षेत्र स्थित बावड़िया कला में बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक दयाराम देशमुख का परिवार रहता है। वे बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त हुए हैं। सोमवार को उनके पास पुलिस वर्दी पहने एक व्यक्ति ने कॉल किया। उसने कहा कि उनका मोबाइल नंबर दिल्ली में हुए आतंकी घटना में पाया गया है। मामले की जांच तक उन्हें वीडियो कॉल के सामने रहना होगा। यदि वे इधर-उधर होंगे तो घर पर पुलिस आकर उन्हें हिरासत में लेगी।

जालसाज दो थे और पुलिस वर्दी में बैठे हुए थे। आरोपियों ने यकीन दिलाया कि यदि वे सही हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा। इस दौरान दयाराम देशमुख ने भोपाल से बाहर रहने वाले बेटे पियूष देशमुख से बातचीत करने के लिए कहा, तो आरोपियों ने इंकार कर दिया।

एक साल में डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं

केस-1: अवधपुरी थाना क्षेत्र स्थित रीगल पैराडाइज फेस-2 में रहने वाली 70 वर्षीय डॉक्टर रागिनी मिश्रा को नवंबर 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग केस का डर दिखाकर तीन दिनों तक घर में डिजिटल अरेस्ट रखा गया। आरोपी ने इस दौरान दस लाख रुपए ऐंठ लिए। पुलिस ने पति की सूचना पर बुजुर्ग महिला डॉक्टर को मुक्त कराया।

केस-2: स्टेशन बजरिया स्थित गायत्री नगर में नवंबर 2024 को टेलीकॉम कंपनी में इंजीनियर प्रमोद कुमार को वीडियो कॉल करके लगभग 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। आरोपियों ने खुद को ईओडब्ल्यू का अधिकारी बताकर उनके खाते से कई ट्रांजेक्शन कराए और उनसे साढ़े तीन लाख रुपए की मांग की। पुलिस ने सूचना मिलने के बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराया।

केस-3: अयोध्या नगर थाना क्षेत्र स्थित सितंबर 2025 में भेल से सेवानिवृत्त सुपरवाइजर 71 वर्षीय विनोद कुमार गुप्ता और उनकी पत्नी को साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर दो महीनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। आरोपियों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में फंसाने का डर दिखाकर 9 खातों में 68 लाख 30 हजार रुपए ट्रांसफर कराए। उन्हें 4 जुलाई से 4 सितंबर 2025 तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया।

दयाराम देशमुख और परिवार पर घटना का असर

दयाराम देशमुख की उम्र 65 साल है। वे वारदात से गहरे सदमे में हैं। पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने चंद्रिका सोसायटी, पृथ्वी कॉम्प्लेक्स में स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में पहुंचे, जहां वे सेवानिवृत्त हुए थे।

सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 20 लाख रुपए मिले थे। इसके अलावा पत्नी स्नेहलता देशमुख और बच्चों के नाम पर एफडी बनी हुई थी। उन्होंने सारी एफडी तोड़कर 68 लाख रुपए की रकम आरोपियों के बताए गए खातों में बुधवार को आरटीजीएस कर दी।

पत्नी स्नेहलता देशमुख ने बताया कि जालसाजों ने भोपाल पुलिस के अफसर बनकर दिल्ली बम धमाके में फंसने की बात कहकर डिजिटल अरेस्ट किया। बेटे पियूष देशमुख ने कहा कि पिता को बैंक सेवा के दौरान चार करोड़ रुपए के घोटाले में फंसने का डर दिखाकर 68 लाख रुपए जमा करवाए गए।

भोपाल में इस महीने डिजिटल अरेस्ट की यह दूसरी वारदात है। इससे पहले कोहेफिजा में रहने वाले अधिवक्ता शम्स उल हसन को चार घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किया गया था। उन्हें भी एटीएस अधिकारी बनकर धमकाया गया। हालांकि, परिवार ने पुलिस की मदद से उन्हें बचा लिया।

बैंक की भूमिका पर उठ रहे सवाल

आरोपियों ने गिरफ्तारी से पहले एक एप डाउनलोड कराया, जिसके जरिए दो दिनों तक नजरबंद रखा गया। घटना वीडियो कॉल पर हुई। राज्य साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों ने बैंक अफसरों की लापरवाही पाई है। बैंक कर्मचारियों ने इतनी भारी रकम ट्रांसफर करने से पहले जांच नहीं की।

पियूष देशमुख ने कहा कि पुलिस से ज्यादा जागरूकता के लिए प्रशासन को बैंकों के लिए पहल करनी चाहिए।

पुलिस का कहना

“पीड़ित स्नेहलता देशमुख के आवेदन पर प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने पांच लाख 17 हजार रुपए होल्ड करा दिए हैं। शेष राशि की वापसी के प्रयास जारी हैं।”

- प्रणय नागवंशी, पुलिस अधीक्षक, राज्य सायबर मुख्यालय, भोपाल

कैसे बरतें सावधानी

सायबर सेल के टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल करें।

अनजान कॉल नहीं उठाएं।

लालच भरे, अनजान एसएमएस को अनदेखा करें।

किसी भी तरह के वीडियो कॉल पर सावधानी बरतें।

डिजिटल गिरफ्तारी के लिए समंस या वारंट जारी नहीं किए जाते।

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