Shahdol Viral Bill: शहडोल स्कूल वायरल बिल मामले में प्रिंसिपल निलंबित, मंत्री ने दिए जांच के आदेश, DEO की भूमिका भी संदिग्ध

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Shahdol Viral Bill : मध्यप्रदेश। शहडोल स्कूल वायरल बिल मामले में प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने मामले की जांच का जिम्मा विभाग के सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण को सौंपा है। स्कूल की मरम्मत कार्य के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया गया था। मरम्मत कार्य से जुड़ा बिल जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तब यह मामला संज्ञान में आया।

स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने देर रात यह जानकारी दी कि, शहडोल के ब्यौहारी में सकंदी हाई स्कूल के निर्माण कार्यों में आई शिकायत उपरांत प्राथमिक जाँच में दोषी पाए जाने पर शाला के प्रभारी प्राचार्य को तत्काल निलंबित किया गया है।

ब्यौहारी के सकंदी सरकारी हाई स्कूल की मरम्मत के मामले में अनियमितता का मामला सामने आने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार में किसी भी तरह की अनियमितता या गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह ने यह भी कहा कि उनके संज्ञान में शहडोल जिले के एक सरकारी हाई स्कूल में मरम्मत के दौरान अनियमितता का मामला उनके संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण को प्रकरण की तत्काल जांच करने के निर्देश दिये हैं। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।

दरअसल, मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से सामने आया एक सरकारी घोटाला इस समय पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकारी हाई स्कूल की दीवारों की पुताई के लिए 4 लीटर पेंट खर्च किया गया लेकिन मजेदार बात यह है कि उस काम में 168 मजदूर, 65 मिस्त्री, यानी कुल 233 लोग झोंक दिए गए और उस ‘रंगीन’ काम का बिल बना 1.06 लाख रुपए बना था।

शहडोल जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) फूल सिंह मारपाची ने इस बिल को बाकायदा मंजूरी भी दे दी थी। जिसके चलते उनकी भूमिका भी संदिग्ध है। विपक्ष अब सवाल उठा रहा है कि क्या मध्यप्रदेश में शिक्षा के नाम पर क्या सिर्फ दिखावे और भ्रष्टाचार की पॉलिश हो रही है?

4 लीटर पेंट से किसी सामान्य घर की एक दीवार भी ढंग से नहीं रंगी जा सकती, लेकिन यहां इतने कम पेंट में सरकारी स्कूल की दीवारें चकाचक हो गईं। चौंकाने वाली बात यह यही कि, स्कूल में पेंट लगाने के लिए सैकड़ों मजदूरों और मिस्त्रियों को लगाया गया था। यह वायरल बिल शासकीय घोटाले की नई मिसाल बन गया है?

गौरतलब है कि, जब सोशल मीडिया पर यह बिल वायरल हुआ, तब जाकर अधिकारी ने बयान जारी करते हुए कहा कि, उन्हें इसकी जानकारी सोशल मीडिया से मिली और जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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