तीन साल पहले विधवा हुई फूलाबाई को मिला नया जीवन: एक संस्था के सहयोग से खोली किराना दुकान…

एक संस्था के सहयोग से खोली किराना दुकान…
X

रायसेन, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के एक सुदूर आदिवासी गांव में, एक छोटी सी किराना दुकान आज नफरत के खिलाफ एक सशक्त प्रतिरोध की मिसाल बन गई है। यह दुकान फूलाबाई गोंड की है - एक 50 वर्षीय महिला, जो तीन साल पहले सांप्रदायिक हिंसा में अपने पति को खो चुकी हैं।

यह हिंसा होली के दिन, वर्ष 2022 में हुई थी, जब चांदपुर और चैनपुर गांवों के आदिवासी हिंदुओं और पास के गांव खमरिया खुर्द के मुस्लिम निवासियों के बीच रंगों के छींटे पड़ने की बात को लेकर विवाद शुरू हुआ।

उसी शाम फूलाबाई के पति हरी धुर्वे और अन्य ग्रामीणों ने बातचीत के लिए खमरिया खुर्द का रुख किया, लेकिन वहाँ हरी धुर्वे को ट्रैक्टर से कुचल दिया गया, जबकि एक अन्य ग्रामीण राजू धुर्वे को गोली मार दी गई। मुकदमा अब भी लंबित है। हाल ही में दिल्ली स्थित एक संस्था, सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन, फूलाबाई के संपर्क में आई। फूलाबाई ने बताया की वो और उनके दो बच्चे अचानक अकेले पड़ गए थे। जीविका चलाने का कोई साधन नहीं था।

सेवा न्याय की संस्थापक स्वाति गोयल शर्मा ने फूलाबाई के घर जाकर उनकी स्थिति का आकलन किया और उनके अनुरोध पर एक किराना दुकान खोलने की व्यवस्था की। ‘हिंदू किराना दुकान’ नाम से खुली यह दुकान उनके दिवंगत पति की स्मृति में समर्पित है। दुकान में दाल, चावल, तेल, साबुन और अन्य घरेलू सामान उपलब्ध हैं।

स्वाति ने कहा, “यह नाम हरी धुर्वे की पहचान का सम्मान है और उस नफरत के खिलाफ संदेश भी, जिसने उनकी जान ली।”

Next Story