अब शिक्षा संस्थानों का निरीक्षण कर सकेंगे पंचायत प्रतिनिधि

अब शिक्षा संस्थानों का निरीक्षण कर सकेंगे पंचायत प्रतिनिधि
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पंचायत ग्रामीण विकास की कार्यशाला में मुख्यमंत्री की घोषणा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जिला एवं जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों को अधिकार संपन्न बनाया है। इसके बाद पंचायत प्रतिनिधि अब अपने क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों का निरीक्षण कर सकेंगे और प्रशासन को सुझाव भी दे सकेंगे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास की कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह घोषणा की। इस दौरान उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों को सम्मानित भी किया।

राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री श्री यादव ने कहा कि “आज प्यासा कुएं के पास नहीं आया है, बल्कि कुआं प्यासे के पास आया है।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंचायतों के विकास के लिए हर कदम पर साथ खड़ी है। साथ ही उन्होंने बताया कि अब जिला और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्ष अपने क्षेत्र के स्कूलों का आधिकारिक तौर पर निरीक्षण कर सकेंगे। उनके सुझावों और रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन कार्रवाई करेगा।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संपतिया उइके, कुंवर विजय शाह और राधा सिंह भी उपस्थित थे।

पुरस्कृत हुए अधिकारी

मुख्यमंत्री ने जल गंगा संवर्धन अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को भी पुरस्कृत किया। समग्र रूप से श्रेष्ठ कार्य श्रेणी में खंडवा, रायसेन और बालाघाट के जिला कलेक्टरों सहित अन्य अधिकारियों को सम्मानित किया गया। खेत तालाब श्रेणी में बालाघाट, अनूपपुर और सहयोगी संगठनों को पुरस्कार दिया गया।

अब नया विभाग बनाएगा गांवों का मास्टर प्लान

भोपाल। शहरों की तरह अब गांवों का विकास भी मास्टर प्लान के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए राज्य में एक नया विभाग बनाया जाएगा। सरकार ने इस पर विमर्श शुरू कर दिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री पहले इसके औचित्य और उद्देश्य पर मंथन करेंगे। इसके बाद विभाग के गठन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा।

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कार्यक्रम में इस नए विभाग की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि बेतरतीब विकास अब संभल नहीं रहा है। इसके लिए जिम्मेदारी तय करनी होगी, क्योंकि अधिकारियों का मनमाना रवैया जनप्रतिनिधियों की बदनामी का कारण बनता है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि एक वर्ष के भीतर प्रक्रिया पूरी कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि अधिकांश गांवों के मास्टर प्लान नहीं हैं। ग्राम पंचायतों में बेतरतीब विकास के कारण, बाद में शहरी सीमा में शामिल होने पर विकास योजनाएं ठप्प पड़ जाती हैं। नया विभाग बनने से एकीकृत योजना और निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी। ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने स्वदेश को बताया कि प्रदेश में 100 से अधिक अर्द्ध-शहरी पंचायतें हैं, जिनका सुनियोजित विकास एक बड़ी चुनौती है।

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