गोलकोंडा ब्लू हीरे का रहस्यमयी सफर: कभी हार की शान, कभी ब्रोच का गहना, अब अंगूठी में जगमगाता सितारा, 14 मई को नीलामी

Golconda Blue Diamond
इंदौर। कभी हार की शान, कभी ब्रोच का गहना, अब अंगूठी में जगमगाता सितारा...भारत की मशहूर गोलकोंडा हीरा खदान से निकला हीरा अपने नए अध्याय की और है। इस हीरे को खरीदने वाला न केवल इसकी सुंदरता को अपनाएगा बल्कि इसके इतिहास के साथ अपना नाम भी जोड़ लेगा।
भारत के शाही इतिहास का एक अनमोल रत्न फिर से चर्चा में है। गोलकोंडा ब्लू, एक दुर्लभ और चमकदार नीला हीरा है। भारत की ऐतिहासिक हीरा खदान से निकला यह हीरा जल्द ही पूरी दुनिया की नजरों में होगा। यह नीला हीरा 23.24 कैरेट का है। इस बेशकीमती पत्थर को पेरिस के मशहूर जौहरी जेएआर ने एक खूबसूरत अंगूठी में जड़ा है। 14 मई को जिनेवा में क्रिस्टी की 'मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स' नीलामी में बिकने वाला है। अनुमान है कि इसकी कीमत 300 करोड़ से 430 करोड़ रुपये तक हो सकती है।
गोलकोंडा ब्लू की कहानी :
गोलकोंडा ब्लू की जड़ें तेलंगाना की मशहूर गोलकोंडा खदानों से जुड़ी हैं। यह वही हीरे की खदान है जहां से कोह-ए-नूर और होप डायमंड जैसे विश्व प्रसिद्ध हीरे निकले हैं। इस नीले हीरे का सफर भारत के राजघरानों से शुरू हुआ था।
इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय बेहद स्टाइलिश और प्रगतिशील शासक थे। यह नायाब हीरा उन्हीं के कलेक्शन का हिस्सा था। साल 1923 में फ्रांसीसी जौहरी चौमेट ने इस हीरे को एक कंगन में जड़ा था। बाद में, 1930 के दशक में, महाराजा के जौहरी मौबौसिन ने इसे एक शानदार हार में शामिल किया। इसमें इंदौर के दो अन्य मशहूर गोलकोंडा हीरे - 'इंदौर पीयर्स' भी शामिल थे। इस हार को इंदौर की महारानी के एक चित्र में देखा जा सकता है, जो उस समय भारतीय राजघरानों के वैभव और भारत के आलीशान इतिहास को दर्शाता है। इसकी खास बात यह है कि, लगभग 100 साल के बाद भी इस हीरे के आकर में परिवर्तन नहीं हुआ है।
1947 में इस हीरे को मशहूर जौहरी हैरी विंस्टन ने इसे खरीद लिया। हैरी विंस्टन इसे लेकर अमेरिका पहुंचे और उन्होंने इसे एक ब्रोच में बदल दिया। सालों बाद यह हीरा एक बार फिर भारत लौटा। यहां इस हीरे को बड़ौदा राजघराने के लोगों ने खरीद लिया।
यह हीरा एक जौहरी के जरिये अमेरिका पहुंचा। मशहूर जौहरी हैरी विंस्टन ने इसे खरीदा और एक ब्रोच में बदला, जिसमें इसे एक सफेद हीरे के साथ जोड़ा गया। बाद में यह फिर भारत लौटा और बड़ौदा के राजघराने का हिस्सा बना। बड़ौदा के राजघराने बाद यह नीला हीरा निजी हाथों में चला गया।
दुनिया के सबसे खास नीले हीरों में से एक :
क्रिस्टी के विशेषज्ञ राहुल कडाकिया कहते हैं, "गोलकोंडा ब्लू अपनी शाही कहानी, अनोखे रंग और बड़े आकार की वजह से दुनिया के सबसे खास नीले हीरों में से एक है। ऐसा रत्न बाजार में बहुत कम आता है।" गोलकोंडा के हीरे अपनी साफ चमक और गुणवत्ता के लिए मशहूर हैं, और इसकी कहानी भारत के इतिहास को और भी खास बनाती है।
हीरे के रंग के पीछे का रहस्य :
यह हीरा अपने रंग के चलते आकर्षण का केंद्र है। इसके रंग के पीछे रसायन विज्ञान है। दरअसल, नीले हीरे में बोरॉन होता है। इसकी खास बात यह है कि, यह बिजली के कंडक्टर होते हैं। इससे बिजली आसानी के पास हो जाती है। जितना बोरॉन होगा, इस हीरे का रंग उतना ही अधिक नीला होगा। इस हीरे का रंग विविध नीला है। यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाला सबसे गहरा नीला है।
नीलामी में सबसे महंगा नीला हीरा :
गोलकोंडा ब्लू इस नीलामी का सबसे बड़ा हीरा है लेकिन सबसे बड़ा नीला हीरा 45.52 कैरेट का होप डायमंड है। होप डायमंड वाशिंगटन, डीसी के स्मिथसोनियन म्यूजियम में रखा है। नीलामी में सबसे महंगा नीला हीरा 14.62 कैरेट का "ओपेनहाइमर ब्लू" है, जो 2016 में 57.5 मिलियन डॉलर में बिका था।
अब गोलकोंडा ब्लू अपने नए मालिक का इंतजार कर रहा है। 14 मई को जिनेवा के फोर सीजन्स होटल में होने वाली क्रिस्टी की नीलामी में यह चमकदार रत्न दुनिया को फिर से मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार है।