आईएएस संतोष वर्मा पर सरकार सख्त, केंद्र सरकार को भेजा बर्खास्तगी का प्रस्ताव

आईएएस संतोष वर्मा पर सरकार सख्त, केंद्र सरकार को भेजा बर्खास्तगी का प्रस्ताव
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ब्राह्मण समाज ने सीएम आवास का घेराव टाला, संतोष वर्मा ने लगातार तीन विवादित बयान दिये

भोपाल। बेटियों पर बदजुबानी करने वाले आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ मप्र सरकार ने सख्ती दिखाई है। विरोध को देखते हुए इसकी बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है। इस कार्रवाई के बाद ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री निवास के घेराव का कार्यक्रम फिलहाल 10 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। यह घेराव रविवार को प्रस्तावित था। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेजे गये प्रतिवेदन में कहा गया है कि 23 नवंबर 2025 को अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा द्वारा दिए गए बयानों से प्रदेश में सामाजिक तनाव की स्थिति बनी है। इसका प्रदेशभर में विरोध हुआ और कई सामाजिक संगठनों, कर्मचारी संघों व जनप्रतिनिधियों ने शासन को ज्ञापन सौंपे हैं। वर्मा का आचरण अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमों के विरुद्ध है। इसी आधार पर 2012 बैच के आईएएस अधिकारी संतोष कुमार वर्मा को सेवा से पृथक करने और उन्हें दिया गया आईएएस अवार्ड वापस लेने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया गया है।

2020 में मिला था आईएएस अवार्ड

सरकार ने स्पष्ट किया है कि संतोष वर्मा मूल रूप से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है और उनका आवंटन वर्ष 1996 का है। वर्ष 2019 में उन्हें आईएएस पदोन्नति के लिए चयन क्षेत्र में शामिल किया गया था। उस समय उनके खिलाफ अपराध क्रमांक 851/2016 लंबित था, जिसके कारण उनको सत्यनिष्ठा प्रमाणित नहीं हो सकी थी। इसके बावजूद चयन समिति ने उनका नाम अनंतिम सूची में शामिल किया। बाद में 6 अक्टूबर 2020 का एक न्यायालयीन आदेश प्रस्तुत किया गया, जिसके आधार पर उन्हें दोषमुक्त बताया गया और १६ अक्टूबर 2020 को उनकी संवीक्षा प्रमाणित कर दी गई। इसके बाद भारत सरकार ने 6 नवंबर 2020 को उन्हें आईएएस अवार्ड प्रदान किया। फर्जी आदेश का मामला, गिरफ्तारी तक पहुंचा केस बाद में जांच में यह सामने आया कि 6 अक्टूबर 2020 का न्यायालयीन आदेश वास्तव में पारित ही नहीं हुआ था। इसे फर्जी पाए जाने पर संतोष वर्मा के खिलाफ अपराध क्रमांक 155/2021 दर्ज किया गया। पुलिस ने 10 जुलाई 2021 को उन्हें गिरफ्तार किया। निचली अदालत और हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिलने के बाद 27 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली। 48 घंटे से अधिक समय तक पुलिस हिरासत में रहने के कारण 13 जुलाई 2021 को वमाँ को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के तहत निलंबित किया गया। इसके बाद उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जबलपुर ने 16 मई 2024 को निलंबन बढ़ाने के आदेश को निरस्त कर दिया। इसके पालन में 28 जनवरी 2025 को वर्मा को निलंबन से बहाल किया गया। शासन ने साफ किया है कि विभागीय जांच अभी भी जारी है।

लगातार दिये विवादित बयान

संतोष वर्मा ने लगातार तीन विवादित बयान दिये हैं। जिसमें उन्होंने सामाजिक वैमन्यस्थता फैलाते हुए हाईकोर्ट को कटघरे में खड़ा करने से नहीं चूके। आईएएस संतोष वर्मा ने इसकी शुरूआत अंबेडकर मैदान से करते हुए कहा कि जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इसके बाद दूसरा वीडियो सामने आया, जिसमें वे कहते दिख रहे हैं कि कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, कितने को जलाओगे, कितने को निगल जाओगे। अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा और जब हर घर से निकलेगा तो आपके पास इतनी ताकत नहीं कि आप हर संतोष वर्मा को जला सकी। इसके बाद हाईकोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि इसकी वजह से एसटीएसी समाज के बच्च्चे सिविल जज नहीं बन पा रहे हैं।


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