मन की बात: पीएम मोदी ने बालाघाट की सूमा उइके को सराहा, सीएम ने किया धन्यवाद

Mann Ki Baat 123rd Episode : पीएम मोदी ने बालाघाट की सूमा उइके को सराहा
Mann Ki Baat 123 rd Episode : मध्यप्रदेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में बालाघाट जिले के कटंगी ब्लॉक की सूमा उइके का उल्लेख किया गया। उन्होंने बताया कि, कैसे सुमा उइके ने सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली। पीएम मोदी द्वारा सूमा उइके का उल्लेख किये जाने पर सीएम मोहन यादव ने उनका आभार जताया है।
पीएम मोदी ने कहा, "मध्यप्रदेश की सुमा उइके जी का प्रयास बहुत सराहनीय है। उन्होंने बालाघाट ज़िले के कटंगी ब्लॉक में, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली। इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिल गई। सुमा उइके की आय बढ़ी तो उन्होंने अपने काम का विस्तार भी किया। छोटे से प्रयास से शुरू हुआ ये सफर अब 'दीदी कैंटीन' और 'Thermal Therapy Centre' तक पहुंच चुका है।"
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार माना। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य सरकार, महिलाओं- युवाओं -गरीबों और किसानों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर करने की दिशा में समर्पित भाव से प्रयासरत है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में राज्य के इन प्रयासों का उल्लेख करने से प्रदेशवासियों का उत्साह बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि, बालाघाट जिले के कटंगी विकासखंड के ग्राम भजियापार की सूमा उइके ने स्व सहायता समूह से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली और आय बढ़ने पर थर्मल थेरेपी और दीदी केंटीन से आय अर्जित कर रही हैं।
मन की बात कार्यक्रम की अन्य प्रमुख बातें :
21 जून को देश और दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ में हिस्सा लिया।
विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया और दो हज़ार से ज़्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 64% से ज़्यादा आबादी अब किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा लाभ का लाभ उठा रही है।
आपातकाल लगाने वालों ने न सिर्फ़ हमारे संविधान की हत्या की, बल्कि न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने की मंशा भी थी।
हमें उन सभी लोगों को हमेशा याद रखना चाहिए जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया। यह हमें अपने संविधान को मज़बूत और स्थायी बनाए रखने के लिए निरंतर सतर्क रहने की प्रेरणा देता है।
