स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया में आज मनाया जाएगा मध्यप्रदेश दिवस

भारत पर्व 2025 में मध्यप्रदेश की संस्कृति, पर्यटन और स्वाद का दिखेगा अद्भुत संगम
भोपाल: भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया (गुजरात) में 1 से 15 नवंबर तक 'भारत पर्व' का उत्साहपूर्ण आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत पर्व 2025 के अंतर्गत मंगलवार, 11 नवंबर को मध्यप्रदेश दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने बताया कि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना के तहत देश की विविधता में एकता को प्रदर्शित करना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।
लोधी ने बताया कि भारत पर्व के अंतर्गत मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा लगभग 25 वर्गमीटर क्षेत्रफल में एक आकर्षक थीम पवेलियन तैयार किया गया है, जिसमें राज्य की पर्यटन, संस्कृति और हस्तशिल्प विरासत को प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया जा रहा है। पवेलियन में सांची, खजुराहो, भीमबेटका, मांडू, ओरछा, उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल शामिल हैं। इसके साथ ही बांधवगढ़, कान्हा और पेंच जैसे राष्ट्रीय उद्यानों की झलक भी दिखाई जाएगी।
स्टूडियो किचन में मध्यप्रदेश का स्वाद
11 नवंबर को स्टूडियो किचन की विशेष प्रस्तुति में प्रदेश के पारंपरिक और प्रादेशिक व्यंजन लाइव तैयार कर परोसे जाएंगे। यह प्रस्तुति 'Flavors from the Heart of India' थीम पर आधारित है।
बुंदेलखंड क्षेत्र: खट्टा-तीखा छाछ पेय सन्नाटा
डिंडोरी क्षेत्र: पारंपरिक सूप कंगनी दाल का शोरबा
मालवा: स्नैक भुट्टेकी कीस, चना बेसन से बना नमकीन चंबल का थोपा
सीधी: पारंपरिक नाश्ता बेडई धुमना आलू
बघेलखंड: मटर का निमोना और सादी पूरी
शहडोल: प्रसिद्ध मिठाई कुटकी की खीर
इन व्यंजनों के माध्यम से प्रदेश के विविध भौगोलिक स्वादों को प्रदर्शित किया जाएगा।
सांस्कृतिक प्रस्तुति- 'अमृतस्य मध्यप्रदेश'
संस्कृति विभाग के संचालक श्री एन.पी. नामदेव ने बताया कि इस प्रतिष्ठित आयोजन में मध्यप्रदेश के कलाकारों द्वारा 'अमृतस्य मध्यप्रदेश' शीर्षक से भव्य समवेत प्रस्तुति दी जाएगी। यह प्रस्तुति दर्शकों को मध्यप्रदेश की प्राचीन सभ्यता, भक्ति, प्रेम और प्रकृति की लय से जोड़ती है।
प्रस्तुति की शुरुआत भीमबेटका की गुफाओं से होगी, जहाँ मानव सभ्यता की पहली झलक दिखाई जाएगी।
खजुराहो के मंदिरों की मूर्तिकला, सांची के स्तूपों की शांति और चित्रकूट की पवित्र भूमि के भावनात्मक दृश्य नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित होंगे।
उज्जैन और ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंगों की दिव्यता, ग्वालियर किले की ऐतिहासिकता, मांडू की प्रेमगाथा और ओरछा के मंदिरों की भव्यता मंच पर जीवंत होगी।
