ग्वालियर मेले में अब नहीं होता कवि सम्मेलन और मुशायरा

ग्वालियर मेले में अब नहीं होता कवि सम्मेलन और मुशायरा
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एक समय था जब कड़ाके की सर्दी में ग्वालियर व्यापार मेले में आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, मुशायरा और बॉलीवुड नाइट के लिए लोग रात-रात भर डटे रहते थे। इन कार्यक्रमों का लोग पूरे वर्ष इंतजार करते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह परंपरा बंद हो गई है। ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण ने इन कलाकारों पर होने वाले 60 से 70 लाख रुपए से अधिक के खर्च को बचा लिया है, जबकि पहले के संचालक मंडल मेले की आकर्षकता बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते थे।

ग्वालियर व्यापार मेले में विभिन्न संस्थाओं द्वारा कराए जाने वाले स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क हो रहे हैं। इनमें केवल कलाकारों को प्रमाणपत्र दे दिया जाता है, जबकि पहले देशभर के श्रेष्ठ कलाकारों को आमंत्रित कर बेहतरीन प्रस्तुतियां कराई जाती थीं। लोग देर रात तक इन कार्यक्रमों का आनंद लेते थे। अब ऐसे कार्यक्रम बंद होने से कलाकार निराश हैं और उन्होंने यहाँ आना भी बंद कर दिया है।

मेले में दुकानों के लिए 1690 आवेदन आए

मेले में इस वर्ष दुकानें लगाने के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। अब तक 1690 दुकानों के लिए आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। पूर्व में जिन 1277 दुकानदारों ने एमपी ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन किए थे, वे अपने आवंटन ऑनलाइन देख सकते हैं। मेला सचिव सुनील त्रिपाठी के अनुसार, मेले में दुकान लगाने के लिए 21 नवंबर तक एमपी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन किए जा सकेंगे।

अब मेले को घूमने लायक बना दो : कैट

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा ‘मेला बचाओ जनसभा’ का आयोजन माधव मंगलम गार्डन में किया गया। जनसभा को संबोधित करते हुए कैट के राष्ट्रीय संगठन मंत्री भूपेंद्र जैन ने कहा कि जनप्रतिनिधि 120 साल पुराने इस मेले को आधुनिक रूप से विकसित करने के प्रयास करें। उन्होंने आग्रह किया कि "कम से कम अब इस मेले को घूमने लायक तो बना दो।"

सभा की अध्यक्षता केदार गुप्ता ने की। निरूपमा मालपानी, कविता जैन, निधि गर्ग, मोहन गर्ग, बबलू गुप्ता, अजय चौपड़ा, कृष्ण बिहारी गोयल सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे। किला गेट के व्यापारी अशोक अग्रवाल ने अगली जनसभा किला गेट पर करने का सुझाव दिया। ग्वालियर मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया, अनिल पुनियानी, महेश मुदगल, अनुज गुर्जर, संतोष उपाध्याय, कैट जिला अध्यक्ष रवि गुप्ता और कोषाध्यक्ष मयूर गर्ग भी उपस्थित रहे।

पहले इस प्रकार खर्च होता था पैसा

भजन संध्या- 20 हजार

ग़ज़ल नाइट- 45 हजार

गायन- 63 हजार

म्यूजिकल नाइट- 70 हजार

राजस्थानी लोक नृत्य- 60 हजार

वीर बुंदेला नाटक-55 हजार

शास्त्रीय गायन- 60 हजार

अखिल भारतीय मुशायरा- 5 लाख

ग़ज़ल नाइट- 70 हजार

बॉलीवुड नाइट – 4 लाख

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन- 6 लाख

संगीत संध्या- 1 लाख 10 हजार

बाल महोत्सव- 75 हजार

इनका कहना है

“इस बार मेला बेहद शानदार ढंग से लगाया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आकर्षक होंगे। कार्यक्रमों का बजट बोर्ड बैठक में तय होगा।”

- सुनील त्रिपाठी, सचिव, ग्वालियर व्यापार मेला

“हमारे समय में कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। इसके लिए मेला सचिव को प्रस्ताव बनाकर बोर्ड मीटिंग में रखना होता था। स्वीकृति मिलने पर कार्यक्रम होते थे। इस पर 60 से 70 लाख तक का खर्च आता था।”

- शैलेन्द्र मिश्रा, पूर्व सचिव, ग्वालियर व्यापार मेला

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