भाषा से जुड़ेगा भारत, एक दक्षिण भारतीय भाषा हर किसी को सीखनी चाहिए-शिवराज

तमिलनाडु के होसुर में किसानों के बीच खड़े होकर जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात कही, तो संदेश साफ था-भारत की एकता सिर्फ नीतियों से नहीं, संवाद से भी बनती है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय को कम से कम एक दक्षिण भारतीय भाषा जरूर सीखनी चाहिए, और यह भी जोड़ा कि वे खुद भी एक भाषा सीखने की कोशिश कर रहे हैं।
भाषाई विविधता हमारी ताकत: शिवराज
मेगा किसान संगोष्ठी के मंच से शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की असली पहचान उसकी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता है। उनके शब्दों में, जब हम एक-दूसरे की भाषा समझते हैं, तो दिलों की दूरी अपने आप कम हो जाती है। उन्होंने जोर दिया कि भाषा सीखना सिर्फ शब्दों का अभ्यास नहीं, बल्कि संस्कृति और भावनाओं को समझने का माध्यम है। इससे राष्ट्रीय एकता और आपसी भरोसा मजबूत होता है।
तमिलनाडु में किसानों से संवाद
यह कार्यक्रम सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। मंच पर किसान, पर्यावरणविद और नीति-निर्माता-तीनों मौजूद थे। शिवराज ने कहा कि सद्गुरु के अनुभवों से प्रेरणा लेकर सरकार वृक्ष आधारित कृषि पर नई नीति तैयार करने की दिशा में काम कर रही है।
किसानों के लिए क्या बदलेगा?
पेड़ आधारित खेती से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा
किसानों की आय में स्थायी वृद्धि की संभावना
जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद
ईशा फाउंडेशन पहले से ही इस दिशा में जमीन पर काम कर रहा है, जिसका असर कई राज्यों में दिखने लगा है।
शिवराज का संदेश सीधा था कि भाषा सीखिए, संवाद बढ़ाइए, प्रकृति के साथ मिलकर खेती कीजिए और देश को जोड़ने वाले कामों में हिस्सेदार बनिए. तमिलनाडु की धरती से दिया गया यह संदेश सिर्फ भाषाओं तक सीमित नहीं था यह भारत के साझा भविष्य की बात थी।
