कूनो नेशनल पार्क से आई बड़ी खुशखबरी: चीता निर्वा बनी पांच शावकों की मां, सीएम ने दी बधाई…

श्योपुर (मध्य प्रदेश)। कूनो नेशनल पार्क से देशवासियों के लिए शानदार खुशखबरी सामने आई है। मादा चीता 'निर्वा' ने पांच नन्हे शावकों को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को यह जानकारी साझा करते हुए इसे भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बताया।
इस नई खुशी के साथ अब कूनो नेशनल पार्क में चीतों और उनके बच्चों की कुल संख्या 31 हो गई है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, "कूनो में चीतों की बढ़ती संख्या 'चीता प्रोजेक्ट' की सफलता और भारत की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाती है।" उन्होंने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनके प्रयासों से वन्यजीव संरक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बन सका है। साथ ही कूनो की टीम, संरक्षण विशेषज्ञों और इस मिशन से जुड़े सभी सहयोगियों को भी बधाई दी।
कूनो में नए मेहमानों के आने की आप सभी को शुभकामनाएं देता हूँ...
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 28, 2025
कल मध्यप्रदेश के चीता परिवार में पुनः वृद्धि हुई है। 5 नन्हें मेहमान हमारे बीच आएं हैं, जो चीता प्रोजेक्ट की सफलता का प्रतीक हैं।#kunonationalpark pic.twitter.com/NWpgN9KdEO
चीता प्रोजेक्ट: एक ऐतिहासिक पहल
भारत में चीतों को दोबारा बसाने की परियोजना 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई थी, जब नामीबिया से आठ चीते — पांच मादा और तीन नर — कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे। यह दुनिया का पहला अंतर-महाद्वीपीय चीता ट्रांसलोकेशन मिशन था। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते भारत पहुंचे थे।
अप्रैल 2025 में दो चीते, प्रभाष और पावक, को गांधी सागर अभयारण्य (नीमच और मंदसौर जिलों में फैला हुआ) में स्थानांतरित किया गया था। तब कूनो में कुल 24 चीते रह गए थे, जिनमें से 14 भारत में ही जन्मे थे। अब निर्वा के पांच नन्हे चीतों के आने से यह संख्या फिर से बढ़ गई है।
वन्यजीव संरक्षण में भारत की बड़ी उपलब्धि
चीता शावकों का सुरक्षित जन्म न केवल 'चीता प्रोजेक्ट' की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अपने जैव विविधता संरक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कूनो में चीतों की आबादी में हो रही बढ़ोतरी से उम्मीद है कि भारत एक बार फिर चीतों की धरती के रूप में अपनी पहचान मजबूत करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीतों की बढ़ती संख्या न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यटन और स्थानीय विकास के नए अवसर भी सृजित करेगी।
