गांवों में तैनात होंगे 'हाथी मित्र': हाथियों के प्रबंधन पर MP सरकार का बड़ा फैसला, 47 करोड़ रुपये से अधिक की योजना को दी मंजूरी

Chief Minister Dr. Mohan Yadav: मध्य प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में जंगली हाथियों के प्रबंधन के लिए 47 करोड़ 11 लाख रुपये से अधिक की विशेष योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना का उद्देश्य मानव जीवन की सुरक्षा के साथ-साथ हाथियों के संरक्षण को भी सुनिश्चित करना है।
चार सालों तक चलेगी विशेष योजना
सरकार की स्वीकृत यह योजना आगामी चार वर्षों तक लागू रहेगी। इसका उद्देश्य न केवल हाथियों की सुरक्षा और निगरानी सुनिश्चित करना है, बल्कि उनके आवास स्थलों को भी बेहतर बनाना है। योजना के तहत उन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जहाँ मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं ज्यादा होती हैं। इसके आलावा एक 'हाथी मित्र दल' का गठन भी किया जाएगा जो ऐसे संकट के समय स्थानीय स्तर पर सहायता प्रदान करेगा।
गांवों में तैनात होंगे 'हाथी मित्र'
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में जंगली हाथियों के प्रबंधन को लेकर एक बड़ी योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। योजना क्रमांक 9854 के तहत स्वीकृत इस प्रस्ताव की कुल लागत 47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये तय की गई है। यह फैसला प्रदेश में मानव और हाथियों के बीच बढ़ते टकराव को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मानव-हाथी संघर्ष रोकना मुख्य उद्देश्य
इस विशेष योजना का मुख्य उद्देश्य है मध्य प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में मानव और हाथियों के बीच होने वाले टकराव को कम करना। हाल ही में उमरिया जिले में ऐसे ही एक हादसे की खबर ने इस समस्या की गंभीरता को फिर उजागर किया। अक्सर जंगली हाथी गांवों में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे फसलों और जान-माल को भारी नुकसान होता है। इस योजना के तहत हाथियों की मूवमेंट पर लगातार निगरानी रखी जाएगी और उनकी सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी जागरूक व सतर्क किया जाएगा।
47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये
हाथियों के प्रबंधन को लेकर सरकार ने पहले ही सक्रिय कदम उठाए हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में इस योजना के तहत 1 करोड़ 52 लाख 54 हजार रुपये खर्च किए जा चुके हैं। अब सरकार ने आगामी दो वर्षों के लिए फंड बढ़ाने का निर्णय लिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 20 करोड़ रुपये और 2026-27 में 25 करोड़ 59 लाख 15 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। इस तरह योजना की कुल लागत 47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस समस्या के समाधान को लेकर गंभीर और प्रतिबद्ध है।
हाथियों की निगरानी के लिए विशेष कंट्रोल रूम
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन इलाकों में हाथियों की गतिविधियों की बेहतर निगरानी करना है, जहां उनका आवागमन सामान्य है। इस उद्देश्य के तहत कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे, ताकि हाथियों पर लगातार नजर रखी जा सके। इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विशेष संरचनाएं बनाई जाएंगी। ई-आई सर्विलेंस सिस्टम की स्थापना की जाएगी, जो हाथियों की निगरानी में मदद करेगा।
इसके अलावा अगर कोई वन्यजीव घायल होता है, तो उसके त्वरित बचाव और पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। योजना के तहत स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे इस संघर्ष से निपटने में सक्षम हो सकें।
