अधर में लटका भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना: सस्ती ई-बाइक राइड लेकर फेंक देते हैं शरारती तत्त्व, टूट-फूट होने पर चीन से मंगाते हैं पार्ट्स

Bhopal e-bike project
मध्यप्रदेश। राजधानी भोपाल को स्मार्ट सिटी के साथ-साथ स्मार्ट राजधानी बनाने की दिशा में केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से लगातार प्रयास जारी हैं। इसके लिए ढांचागत विकास के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी कई बदलाव और सुधार किए जा रहे हैं लेकिन लोगों की मानसिकता में सुधार के बिना कई प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं। इस सबके चलते भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।
प्रदूषण कम करने और भोपाल शहरवासियों को सुविधा के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट से अनुबंध के तहत चार्टर्ड कंपनी ने शहर में निजी सहभागिता से (पीपीपी मॉडल) कई स्थानों पर बहुत कम किराए पर साइकिल (5 रुपये/आधा घंटा) और ई-बाइक (20 रुपये/15 मिनट) उपलब्ध कराई हैं। स्वास्थ्य के प्रति सजग शहर के कई नागरिक सुबह-शाम साइकिलिंग कर इस सुविधा का लाभ भी लेते हैं। हालांकि कुछ शरारती तत्व साइकिल और ई-बाइक में तोड़फोड, चोरी और नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
साइकिल और ई- बाइक की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे कंपनी प्रतिनिधियों का कहना है कि, कई उत्पाती तत्व किराए पर साइकिल और ई-बाइक लेकर वापस स्टैंड पर जमा नहीं करते, बल्कि नाले नालियों, झाड़ियों, सुनसान जगह, बस और रेलवे स्टेशन और सुनसान स्थानों पर फेंककर चले जाते हैं। सस्ती और छोटी होने के कारण बच्चे भी 20 रुपये में ई-बाइक किराए पर लेकर मस्ती करते नजर आते हैं। इससे कंपनी को लगातार नुकसान भी हो रहा है और प्रोजक्ट का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
शहर के 50 स्थानों पर चार सौ साइकिलें
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एक फरवरी 2023 को हरी झंडी दिखाकर ई-बाईक प्रोजक्ट शुरू हुआ था। साइकिल सुविधा का उद्देश्य राजधानी में पर्यावरण प्रदूषण को कम करना और शहरवासियों को स्वास्थ्य और सुविधा की दृष्टि से न्यूनतम किराए में इस महती सुविधा को उपलब्ध कराना था। इसके लिए चार्टर्ड कंपनी ने स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट के साथ अनुबंध किया था। शहर में करीब 50 स्थानों पर करीब चार सौ साइकिल और अलग-अलग स्थानों से एक सैकड़ा ई-बाईक भी उपलब्ध कराईं। शुरुआती वर्षों में इस व्यवस्था में अच्छे परिणाम देखने को मिले। साइकिलिंग के शौकीनों के साथ सस्ते सफर के लिए भी इसका उपयोग हुआ लेकिन विकृत मानसिकता के कुछ शरारती तत्वों की ओछी हरकतों के चलते यह प्रोजक्ट अंतिम सांसें गिनता नजर आ रहा है।
चीन से मंगाना पड़ते हैं ई-बाइक के पार्ट
कंपनी प्रतिनिधियों का कहना है कि साइकिल और ई-बाइक दोनों में ही टूट-फूट, खराबी होने पर इसके सुधार में बहुत ज्यादा समय और खर्च लगता है। क्योंकि इसका पूरा सामान चीन से मंगाना पड़ता है।
साइकिलों से चोरी हो रहा सामान
स्टैंड पर खड़ी साइकिलों से चोर एल्युमिनियम और लोहे की जाली की डलिया, स्टैंड, पैडल, चेन सहित दूसरे पार्ट निकालकर ले जा रहे हैं। संधारण के लिए सामान स्थानीय स्तर पर नहीं मिलता, इसलिए संधारण में देरी भी होती है और महंगा भी पड़ता है।
सीमित स्थानों पर ही उपलब्ध ई-बाइक
कंपनी प्रतिनिधियों के अनुसार शहर में साइकिल तो करीब 50 स्टैंड पर उपलब्ध हैं लेकिन ई-बाईक वोट क्लब, वन विहार, एमपी नगर, न्यू मार्केट हाट बाजार जैसे कुछ चिन्हित स्थानों पर ही हैं। शुरूआत में ई-बाईक की संख्या सौ थी, अब 75 है।
