MP OBC आरक्षण पर SC में सुनवाई: 13% पद 6 साल से होल्ड रहने पर अदालत ने पूछा सवाल, अंतिम सुनवाई की तारीख तय

Supreme Court
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नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी भर्तियों में OBC के 13% पद 6 साल से होल्ड रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। OBC महासभा के वकील के अनुसार कोर्ट ने पूछा — “सरकार सो रही है क्या?” यह मामला MPPSC के चयनित अभ्यर्थियों से जुड़ा है। कोर्ट ने इसे अति महत्वपूर्ण मानते हुए 23 सितंबर को पहले नंबर पर अंतिम सुनवाई तय की है।

दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुनवाई हुई। ओबीसी महासभा की ओर से वकील वरुण ठाकुर ने अदालत के सामने दलील पेश की। उन्होंने अदालत को बताया कि, 6 साल से 13 प्रतिशत पद होल्ड पर हैं। उनके कहे अनुसार अदालत ने यह बात जानकार सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि, सरकार सो रही है क्या? OBC के 13 प्रतिशत होल्ड पदों पर 6 साल से क्या किया।

याचिका उन अभ्यर्थियों के द्वारा दायर की गई थी जिनका चयन MPPSC की परीक्षा में हुआ था लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। सरकार ने 29 सितंबर 2022 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसे ही अदालत में चैलेन्ज किया गया है। सरकार का कहना है कि, हम भी रिजर्वेशन देना चाहते हैं। इसीलिए ऑर्डनेंस पर जो स्टे है, उसे वेकेंट किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए टॉप ऑफ द बोर्ड में लिस्टेड किया है। आगामी 23 सितंबर को इसे पहले नंबर पर सुनवाई के लिए रखा है। 13% होल्ड वाले मामले में सभी याचिकाओं पर यह अंतिम सुनवाई होगी।

इधर भाजपा प्रवक्ता आशीष उषा अग्रवाल ने कहा कि, पिछड़े वर्ग के व्यापक हित में मध्यप्रदेश सरकार की ऐतिहासिक सफलता -मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व, दृढ़ संकल्प और सतत प्रयासों से आज ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ऐतिहासिक सफलता मिली।

'यह मामला मध्यप्रदेश लोक सेवा (SC/ST/OBC आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता से जुड़ा है। राज्य सरकार के तर्कों से सहमत होकर सर्वोच्च न्यायालय ने इसे 23 सितंबर 2025 से “Top of the Board” पर प्रतिदिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।'

'यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टि से मील का पत्थर है, बल्कि लाखों लोगों और पिछड़े वर्ग के लिए नई उम्मीद, नया विश्वास और न्याय की गारंटी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि वह सामाजिक न्याय, समान अवसर और पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर डटकर खड़ी है।'

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