भोपाल में बना 269.9 फीट का सैंडविच, लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज होगा

भोपाल में बना 269.9 फीट का सैंडविच, लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज होगा
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भोपाल में IHM ने 69.9 फीट लंबा सैंडविच बनाकर रचा इतिहास, फाइनल अप्रूवल का इंतजार लिम्का बुक टीम की निगरानी में 7 मिनट 26 सेकेंड में तैयार।

भोपाल। रविवार को राजधानी भोपाल में दुनिया के सबसे लंबे सैंडविच को लेकर नया कीर्तिमान रचा गया। इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (IHM) भोपाल ने 269.9 फीट लंबा और करीब 8 इंच चौड़ा सैंडविच तैयार कर सबको चौंका दिया। खास बात यह रही कि यह पूरा सैंडविच महज 7 मिनट 26 सेकेंड में तैयार किया गया। पूरी प्रक्रिया लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम की निगरानी में हुई। रिकॉर्ड फिलहाल दर्ज कर लिया गया है, जबकि अंतिम मंजूरी के लिए करीब 2 से ढाई महीने का इंतजार करना होगा।

300 फीट लंबी टेबल, एडिबल ग्लू से जुड़ी ब्रेड

IHM भोपाल के प्रिंसिपल डॉ. रोहित सरीन ने बताया कि इस मेगा सैंडविच के लिए करीब 300 फीट लंबी टेबल लगाई गई थी।24 इंच लंबे ब्रेड लोफ्स को खास तौर पर तैयार किए गए एडिबल ग्लू की मदद से जोड़ा गया, ताकि पूरी लंबाई में ब्रेड एकसार बनी रहे। भोपाल के लोगों के लिए यह नजारा किसी फूड फेस्टिवल से कम नहीं था। जैसे-जैसे सैंडविच आगे बढ़ता गया, वहां मौजूद दर्शकों की उत्सुकता भी बढ़ती गई।


स्वाद में नहीं छोड़ी कोई कमी

इतनी बड़ी लंबाई के बावजूद स्वाद और क्वालिटी पर पूरा ध्यान रखा गया। सैंडविच में तीन तरह की लैट्यूस, पर्पल कैबेज, तीन प्रकार की शिमला मिर्च, कैप्सिकम, प्याज, ओलिव्स और जलेपिनो 5 से 6 तरह के स्प्रेड्स और सॉस का इस्तेमाल किया गया। चुनौती यह थी कि हर 40 फीट पर स्वाद बिल्कुल एक जैसा रहे, जिसके लिए सब्जियों की कटिंग से लेकर रेसिपी तक सब कुछ एक तय मानक के अनुसार किया गया।

रिकॉर्ड से ज्यादा छात्रों का आत्मविश्वास था मकसद

डॉ. रोहित सरीन का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य सिर्फ रिकॉर्ड बनाना नहीं था। हम चाहते थे कि हमारे छात्र यह महसूस करें कि टीमवर्क और सही प्लानिंग से कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है,।उनका मानना है कि ऐसे प्रयोग छात्रों में प्रोफेशनल सोच, क्रिएटिविटी और आत्मविश्वास को मजबूत करते हैं। डॉ. सरीन ने कहा कि हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में खाना बनाना केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम है। यहां गेस्ट को भगवान माना जाता है, और सेवा करने का अवसर सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। खास बात यह भी है कि डॉ. सरीन खुद IHM भोपाल के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने 1994 में यहीं से पढ़ाई की थी और आज उसी संस्थान का नेतृत्व कर रहे हैं।


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