एमएसएमई कंपनी की प्रॉपर्टी नीलाम कर रहा था बैंक: हाईकोर्ट का केंद्र सरकार, बैंक ऑफ बड़ौदा को नोटिस

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा को एक लघु एवं मध्यम उद्यम कंपनी नर्मदा फॉरेस्ट प्राइवेट लिमिटेड की करोड़ों की संपत्ति कम दाम में नीलाम करने के मामले में नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बैंक की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं और फिलहाल नीलामी पर रोक लगा दी है।
70 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 6 करोड़ में बेची
याचिकाकर्ता का कहना है कि कंपनी की कुल संपत्ति करीब 70 करोड़ रुपये की थी, जिसे बैंक ने सिर्फ 6.42 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस कार्यवाही को बैंकिंग धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा है।
बिना मौका दिए की गई नीलामी
केंद्र सरकार और आरबीआई के नियमों के अनुसार अगर किसी एमएसएमई कंपनी का बैंक लोन डिफॉल्ट होता है, तो पहले उसे पुन: वित्तीय व्यवस्था (फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग) का मौका देना जरूरी है। लेकिन इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा ने ये मौका दिए बिना ही कंपनी की संपत्ति नीलाम कर दी।
संविधान के अधिकारों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विवेक रंजन पाण्डेय ने हाईकोर्ट में दलील दी कि बिना पुन: वित्तीय व्यवस्था का मौका दिए सरफेसी एक्ट धारा 13 के तहत इस तरह से संपत्ति की नीलामी करना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (स्वतंत्रता का अधिकार), 21 (जीवन का अधिकार) और 300 ्र (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन है। ये असंवैधानिक और गैर कानूनी है।
हाईकोर्ट ने नीलामी और वसूली रोकी
केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन में एमएसएमई एक्ट की धारा 9 के तहत कंपनियों के पुन: संरचना की बाध्यकारी निदेर्शों को नोटीफाई किया गया है। इसलिए सरफेसी एक्ट की धारा 13 असंवैधानिक है। सीनियर एडवोकेट विवेक रंजन पाण्डेय के तर्कों से सहमत होकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, बैंक ऑफ बड़ौदा और ईओडब्ल्यू को नोटिस जारी किया है। साथ ही नीलामी प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाते हुए बैंक के वसूली आदेशों पर भी रोक लगाई है।
