Balaghat Gang Rape Case: बालाघाट में आदिवासी बच्चियों से गैंगरेप पर सियासत, उमंग सिंघार ने CM मोहन यादव से की ये अपील

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Balaghat Gang Rape Case : मध्यप्रदेश। बालाघाट में आदिवासी बच्चियों से गैंगरेप पर सियासत गरमा रही है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने CM डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर सख्त कार्रवाई की मांग की है। 23 अप्रैल की रात बालाघाट जिले के दुगलाई ग्राम में आदिवासी बालिकाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी।

उमंग सिंघार बीते दिनों बालाघाट में पीड़ितों से मिलने गए थे। उन्होंने पत्र में लिखा - "बालाघाट जिले के दुगलाई गांव में आदिवासी बालिकाओं के साथ अमानवीय घटना घटित हुई। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। मैंने 30 अप्रैल को पीड़ित परिवारजनों से भेंट की तथा घटना की जानकारी ली।"

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मांग की है कि, "प्रकरण फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जा सके। अनुभवी विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाए जो अनुसूचित जनजाति अत्याचार और पॉक्सो मामलों में दक्ष हो। पीड़िताओं को न्यूनतम 1 करोड़ रूपये की सहायता राशि दी जाए। पीड़ित परिवार और उनके परिजनों की सुरक्षा हेतु गांव में पुलिस बल की व्यवस्था की जाए ताकि पीड़ित परिवार की सुरक्षा एवं गरिमा सुरक्षित रहे।"

"आदिवासी एवं दलित महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में हो रही वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली आदिवासी एवं दलित महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु विशेष कार्यबल (स्पेशल टास्क फोर्स) का गठन किया जाए।"

बता दें कि, बालाघाट के जंगल में शादी से लौट रही तीन लड़कियों और एक महिला के साथ छह वयस्कों और एक नाबालिग ने सामूहिक बलात्कार किया था। 15, 16 और 17 साल की लड़कियां और 21 वर्षीय महिला, सभी आदिवासी, रात 1 से 2 बजे के बीच एक आदमी के साथ अपने गांव लौट रही थीं, जब मोटरसाइकिल पर सवार पुरुषों और नाबालिग ने उन्हें घेर लिया।

पीड़िताओं ने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें जंगल में ले जाया गया और उनके साथ बलात्कार किया गया। बालाघाट के पुलिस अधीक्षक नागेंद्र सिंह ने कहा, "लड़कियों के साथ मौजूद व्यक्ति को धमकाया गया और भगा दिया गया। हमने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और नाबालिग को हिरासत में लिया है। सभी गिरफ्तारियां सूचना मिलने के छह घंटे के भीतर की गईं। " भारतीय न्याय संहिता, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम और SC/ST अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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