तानसेन समाधि पर फिर दिखावटी सफाई अभियान

सालभर जर्जर समाधि, समारोह से पहले चमकाने की तैयारी
सुरों के सम्राट तानसेन की समाधि पर फिर वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है। जैसे ही तानसेन समारोह का समय आता है, प्रशासन सक्रिय होता है। सालभर झाड़ियों में घिरी, टूटी पगडंडियों और गंदगी से जूझती समाधि अब चमकाई जा रही है। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी और संस्कृति विभाग ने बेहट स्थित समाधि परिसर में सफाई और सौंदर्यकरण का काम शुरू कर दिया है।
स्थानीय लोगों का विरोध
शहर के कलाकारों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब दिखावा है। तानसेन के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन सालभर समाधि की देखभाल नहीं होती। स्थानीय निवासी लवी परमार ने कहा कि समाधि तक जाने वाली सड़कों पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, फिर भी हालत जस की तस रहती है।
हर साल करोड़ों खर्च फिर भी हालत जस की तस
सूत्रों के अनुसार, तानसेन समारोह पर हर साल करीब 1 से 1.5 करोड़ रुपए का बजट खर्च होता है। इसमें मंच, लाइटिंग, प्रचार और अतिथि कलाकारों के इंतजाम शामिल हैं। प्रशासन का दावा है कि इस बार सफाई, रोशनी और ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर होगी। लेकिन स्थायी देखरेख या संरक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
समारोह के बाद क्या
संध्या प्रमोद बापट, सितारवादिका ने बताया कि समारोह के बाद पवित्र स्थल उजड़ा-उजड़ा रह जाता है। बैठकें कुछ चुनिंदा लोगों को खबर देकर कर दी जाती हैं, जिससे आम नागरिक सुझाव नहीं दे पाते।
पहल की जरूरत
उमेश कंपू वाले, शास्त्रीय गायक ने कहा कि समाधि स्थल अब भी साधारण स्थिति में है। उन्होंने सुझाव दिया कि परिसर में गेट लगाने चाहिए और साल में एक-दो बार संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में पहल करनी होगी।
