“नर्सिंग महाविद्यालयों की संबद्धता प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

उच्च शिक्षा विभाग ने जीवाजी विश्वविद्यालय को भेजा पत्र
नर्सिंग महाविद्यालयों को संबद्धता देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने पत्र जीवाजी विश्वविद्यालय को भेज दिया है और कहा है कि इस प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाए, ताकि विद्यार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। अगले एक सप्ताह के भीतर जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
तकनीकी परेशानियों को दूर करने नियमों में बदलाव
शुरुआती दौर में संबद्धता देने में आने वाली तकनीकी परेशानियों को दूर करने के लिए नियमों में बदलाव किया जाएगा। नर्सिंग महाविद्यालयों को संबद्धता दिए जाने से पहले यह बदलाव प्रदेश स्तरीय समन्वय समिति के माध्यम से होगा। यदि समन्वय समिति की बैठक समय पर नहीं होती है, तो प्रक्रिया प्रत्याशा में शुरू कराई जा सकती है और बाद में इसे समिति में प्रस्तुत किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पहले नर्सिंग महाविद्यालयों को क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा संबद्धता दी जाती थी। लेकिन जब जबलपुर में चिकित्सा विश्वविद्यालय शुरू हुआ, तो प्रक्रिया में बदलाव हुआ और संबद्धता चिकित्सा विश्वविद्यालय के हिस्से में चली गई। इसके बाद कुछ महाविद्यालयों में गड़बड़ियां सामने आईं, जांच शुरू हुई और नर्सिंग सहित अन्य चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों का संचालन फिर क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के अधीन वापस कर दिया गया।
अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही संबद्धता
2025-26 सत्र के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नर्सिंग महाविद्यालयों को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही संबद्धता दी जाएगी। इसके लिए क्षेत्रीय विश्वविद्यालय जिम्मेदार होंगे। ग्वालियर-चंबल अंचल के महाविद्यालयों को जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा संबद्ध किया जाएगा।
जीवाजी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी बढ़ेगी
नर्सिंग महाविद्यालयों का संचालन जिम्मेदारी मिलने से जीवाजी विश्वविद्यालय का कार्यभार बढ़ जाएगा। संबद्धता के बाद परीक्षा आयोजित करने और मूल्यांकन की जिम्मेदारी भी विश्वविद्यालय के पास आएगी। हालांकि इससे विश्वविद्यालय के काम के साथ-साथ राजस्व में भी वृद्धि होगी।
इनका कहना है:
“उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार संबद्धता प्रक्रिया को नियमानुसार जल्द ही शुरू किया जाएगा।”
— राजीव मिश्रा, प्रभारी कुलसचिव, जीवाजी विश्वविद्यालय
