45 बर्खास्त परिवहन आरक्षकों को फिर मिलेगी नौकरी, विधि विभाग कर रहा प्रस्ताव पर मंथन

रामेश्वर धाकड़
भोपाल। प्रदेश सरकार में नौकरशाही किस तरह से सरकार की किरकिरी कराने में जुटी है। इसका बड़ा फैसला निकट भविष्य में होने जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने पिछले साल जिन 45 आरक्षकों को भर्ती किया था, उन्हें जबलपुर उच्च न्यायालय के एक आदेश के हवाले से फिर से सेवा में रखा जा रहा है। इसके लिए परिवहन आयुक्त कार्यालय ने प्रस्ताव भेजा था, जो अब विभाग विधि विभाग पहुंच गया है। चूंकि सेवा में वापसी के बाद भी मामला फिर से न्यायालय में पहुंचने की संभावना है, इसलिए विधि विभाग की नकारात्मक टिप्पणी रोकने के लिए बर्खास्त परिवहन आरक्षक विधि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों गहन संपर्क में हैं।
दरअसल, 2012 में परिवहन विभाग ने महिला पदों पर पुरुषों
को नियुक्ति दे दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर परिवहन विभाग ने सितंबर 2024 में 45 परिवहन आरक्षकों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद बर्खास्त आरक्षक फिर से जबलपुर उच्च न्यायालय गए। जस्टिस मिश्रा की पीठ ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि गलत नियमों से भर्ती करने वाले अधिकारियों से इनकी 10 साल के वेतन भत्ते वसूले जाएं। इसके खिलाफ युगल पीठ में अपील की। इसमें तर्क दिया था कि विभाग ने भर्ती नियमों का पालन नहीं किया, उनकी कोई गलती नहीं थी।
युगलपीठ ने महिलाओं को नौकरी देने और महिलाओं की विशेष भर्ती की शर्त पर बर्खास्त आरक्षकों को वापस नौकरी पर रखने के आदेश दिए। इसके बाद परिवहन आयुक्त ने प्रस्ताव बनाकर भेजा। इस पर विधि विभाग मंथन कर रहा है। हालांकि परिवहन विभाग ने महिलाओं की भर्ती के लिए न कोई नियम बनाए और न ही विशेष भर्ती की है। पूरा विभाग महिलाओं के पदों पर बर्खास्त परिवहन आरक्षकों को फिर से नौकरी देने पर जुटा है। सूत्रों से खबर है कि इसमें बड़े स्तर पर जोड़तोड़ भी चल रहा है। खास बात यह है कि बर्खास्त आरक्षकों को फिर से नौकरी पर रखने का फैसला अभी मुख्यमंत्री के संज्ञान में नहीं है।
13 साल पहले 2012 में परिवहन आरक्षकों की भर्ती हुई। जिसमें महिलाओं के लिए 100 पदों के विरुद्ध 40 पद भरे 160 खाली पदों पर 53 पुरुषों की नियुक्तिकी गई। बाद में 8 लोग नौकरी छोड़ गई। महिला पदों पर पुरुषों को नियुक्ति देने के खिलाफ ग्वालियर की अभ्यर्थी हिमाद्री सिंह उच्च न्यायालय पहुंची। 2014 में उच्च न्यायालय ने भर्ती नियम बनाने और महिला पदों पर नियुक्त 45
यह है परिवहन आरक्षकों की भर्ती का मामला
पुरूष आरक्षकों को निकालने के आदेश दिए। इसके खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। जिसे खारिज किया। फिर से अपीलीय विशेष अनुमति याचिका दायर दायर की गई। इस बीच हिमाद्री सिंह ने 2014 के उच्चन्यायालय में दिए गए आदेश के पालन कराने के लिए कंटेट लगाई। जिस पर उच्च न्यायालय ने 4 हफ्ते के भीतर 2014 के आदेश का पालन करने का आदेश दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव तक मामला पहुंचा। मुख्यमंत्री ने न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहा। तब पूर्व परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता ने सितंबर 2024 में 45 परिवहन आरक्षकों को एक साथ बर्खास्त कर दिया था।
ये बर्खास्त आरक्षक होंगे बहाल
सामान्यः श्रीनाथ शर्मा, सौरभसिंघल, अजय सिंह भदौरिया, हरिओम कुशवाह, भूपेन्द्र सिंह तोमर, नीरज शर्मा, मानवेन्द्र सिंह जादौन, कर्मवीर सिंह, शैलेन्द्र सिंह राजपूत, सुखदेव शर्मा, महेन्द्र जरिया, राकेश तोमर, दीपेन्द्र सक्सेना, मनीष खरे, नरेन्द्र चतुर्वेदी, शुभम शर्मा, शिवकुमार गुप्ता, रोहित कुमार दुबे, रूपेश कटारे, राहुल कुशवाह, राघवेन्द्र तिवारी, कमलेश तिवारी, शशांक द्विवेदी, कुलदीप गुप्ता, नितिन कुमार मिश्रा, प्रखर पांडे, पुष्पेन्द्र सिंह बुंदेला, अनुराग सिंह भदौरिया, जितेन्द्र सिंह सेंगर, विनय सारस्वत, कमल प्रताप सेंगर, रावेन्द्र मिश्रा।
ओबीसीः सुमन सूर्यभान लोधी, शिशिर रैकवार, प्रेमनारायण कुशवाह, राजकुमार गुर्जर, सुनील साहू, अजय सिंह दांगी, जितेन्द्र सिंह, अरुण यादव, नितिन चौधरी, विचित्र सिंह किरार, विकास पटेल।
अजजाः राम सजीवन बैगा, सुनील सिंह वास्कले।
