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निहारिका चाहती हैं राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देना

निहारिका चाहती हैं  राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देना
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पणजी । बॉक्सिंग के दीवानों के लिए निहारिका गोनेला एक जाना-पहचाना नाम है। निहारिका को पिछले साल गुजरात में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों में 2017 की जूनियर विश्व चैंपियन असम की अंकुशिता बोरा के खिलाफ हार का मुंह देखना पड़ा था और इसके बाद उनके गालों पर बहते आंसू हर किसी के दिमाग में ताजा हैं। 37वें राष्ट्रीय खेलों में गोवा का प्रतिनिधित्व कर रहीं निहारिका ने 60 किग्रा वर्ग में असम की बार्बी गोगोई को एकतरफा अंदाज में 5-0 से हराकर इन खेलों में अपने अभियान की विजयी शुरुआत की है।

बिलासपुर में हाल में आयोजित रेलवे राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली निहारिका को अपने उसी प्रदर्शन को यहां पेडम स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में भी दोहराने की उम्मीद है। उनकी नजरें अब 60 किग्रा वर्ग में पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल करने पर लगी है। निहारिका ने कहा, ''यह मेरे लिए एक घटनापूर्ण सीजन रहा है। रेलवे चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने से यहां 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैंने आज अच्छी शुरुआत की, लेकिन मुझे अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। जीत की लय को बरकरार रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से अगले कुछ महीने बहुत व्यस्त रहने वाले हैं।''

पूर्व हैंडबॉल खिलाड़ी श्रीराम गोनेला की बेटी, निहारिका चार बहनों में से दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने 2014 में इस खेल को अपनाया था और तब से उन्होंने विदेशी आमंत्रण टूर्नामेंट में दो रजत पदक जीते हैं। इसके अलावा उन्होंने यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी पदक जीते हैं। हालांकि, जो चीज उन्हें अलग बनाती है, वह है उनका अपने भार वर्ग में लगातार बदलाव करना। सीनियर सर्किट पर 75 किग्रा वर्ग में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद अब वह 60 किग्रा भार वर्ग में रिंग में उतरती हैं।

मुक्केबाज ने कहा, '' जब मैंने शुरुआत की थी, तो मेरे कोच ने मेरी ऊंचाई और गति के कारण मुझे अधिक भार वर्ग चुनने की सलाह दी थी, लेकिन धीरे-धीरे मुझे लगा कि मेरे अंदर सहनशक्ति की कमी है, जो अधिक भार वर्ग में एक महत्वपूर्ण कारक है। मैंने 70 किग्रा वर्ग में में यूथ सर्किट में रजत पदक जीते थे और पिछले साल 66 किग्रा में उतरने के बाद राष्ट्रीय खेलों के पहले दौर में हार गई थी।''

गोवा की स्टार मुक्केबाज ने आगे कहा, '' पिछले दो वर्षों से, मैं जॉन वारबर्टन, बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के सब-जूनियर कोच के साथ काम कर रही हूं और उनकी सलाह पर चल रही हूं। उन्होंने मेरी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और मैंने 60 किग्रा वर्ग में आकर खुद को सर्वश्रेष्ठ स्थिति में पाया है। बीच में, मैंने 63 किग्रा वर्ग में प्रयास किया, लेकिन मुझे 60 किग्रा में मौका मिला, क्योंकि मेरे पास विरोधियों से निपटने की क्षमता है।'' पिछले साल वह तेलंगाना का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, लेकिन फिर वह गोवा शिफ्ट हो गई और अब यहां सफलता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भावुक निहारिका ने कहा, '' पिछले साल मैं एक भयानक दौर में थी, क्योंकि मुझे राष्ट्रीय खेलों में आने के लिए अपने बीमार पिता को आईसीयू में छोड़ना पड़ा था। जब मैं अपनी प्रतियोगिता शुरू करने ही वाली थी तभी मैंने अपने पिता को खो दिया और फिर मैं अपने खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकी। मैं अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई।'' उन्होंने कहा, '' लेकिन असफलताओं ने मुझे पहले से और अधिक मजबूत बना दिया है और मैं यहां राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देना चाहती हूं। मैं ओलंपिक पदक जीतने के अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी।''

Updated : 2 Nov 2023 2:15 PM GMT
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Swadesh Bhopal

Madhya Swadesh Bhopal Web Desk


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