National Sports Governance Bill Act: नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल को हरी झंडी, 1975 से लंबित प्रस्ताव पर लगी मुहर

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
National Sports Governance Bill Act 2025 Update: नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई, जिसके साथ ही यह कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। इस बिल के जरिए भारत के खेल प्रशासन में पारदर्शिता और सुधार लाने का वादा किया गया है। केंद्र सरकार की राजपत्र अधिसूचना में पुष्टि की गई कि राष्ट्रपति ने सोमवार को इस पर अपनी स्वीकृति दे दी थी।
संसद से राष्ट्रपति तक पहुंचा स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल को 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था। 11 अगस्त को वहां से पारित कर दिया गया। इसके अगले ही दिन राज्यसभा में दो घंटे से ज्यादा चली चर्चा के बाद इसे मंजूरी मिल गई। इस बिल को पहली बार 1975 में लाने की पहल हुई थी, लेकिन लगातार राजनीतिक अड़चनों की वजह से यह संसद तक नहीं पहुंच सका। लगभग पांच दशकों के इंतजार के बाद आखिरकार यह ऐतिहासिक बिल कानून बनने की ओर बढ़ गया है।
RTI के दायरे से बाहर रहेगा BCCI
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में किए गए संशोधन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर RTI लागू नहीं होगा। खेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस कानून के दायरे में केवल वही खेल संगठन आएंगे जो केंद्र सरकार से अनुदान या वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं। चूंकि BCCI किसी भी प्रकार का सरकारी अनुदान नहीं लेता, इसलिए वह RTI के दायरे से बाहर रहेगा। कई संगठनों और खेल विशेषज्ञों ने समय-समय पर BCCI को RTI के तहत लाने की मांग उठाई है।
खेल प्रशासन में सुधार के लिए बनेगी नई संस्थाएं
खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने 23 जुलाई को लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 पेश किया था। इस बिल में खेलों के विकास और पारदर्शिता के लिए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बॉडी, नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड, नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल और नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल जैसी संस्थाओं के गठन का प्रस्ताव है। संसद में इसे स्थायी समिति (GPC) के पास भेजने की मांग भी उठी है।
इस बिल की शुरुआत 1975 से हुई थी, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह कभी संसद तक नहीं पहुंच सका। 2011 में नेशनल स्पोर्ट्स कोड लाया गया, जिसे बाद में बिल का रूप देने की कोशिश हुई। मगर वह भी अटक गया। अब 2036 ओलिंपिक की बोली की तैयारी के तहत भारत खेल प्रबंधन में पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय स्तर की व्यवस्था लाने के लिए इस बिल को आगे बढ़ा रहा है।
नेशनल स्पोर्ट्स बिल का उद्देश्य
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल का मकसद भारतीय खेल प्रशासन में जवाबदेही लाना है। इसके जरिए खेल संघों के कामकाज को बेहतर बनाया जाएगा और खिलाड़ियों को न्यायसंगत अवसर देने का रास्ता तैयार होगा।
नेशनल एंटी-डोपिंग बिल, 2025
नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 भारत की एंटी-डोपिंग व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा करने के लिए लाया गया है। अब नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) को पूरी तरह स्वतंत्र अधिकार मिल गए हैं, जिससे डोपिंग से जुड़े फैसले बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के लिए जा सकेंगे।
WADA की आपत्तियों के बाद सुधार
2022 के एंटी-डोपिंग एक्ट पर वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) ने आपत्ति जताई थी क्योंकि उसमें सरकार की अप्रत्यक्ष दखलंदाजी की आशंका थी। इसके चलते भारत पर अंतरराष्ट्रीय बैन का खतरा भी मंडराने लगा था। 2025 के संशोधन में बोर्ड की शक्तियां सीमित कर दी गईं और NADA को पूरी तरह ऑपरेशनल इंडिपेंडेंस दे दी गई।
