विक्रम अवार्ड-2023 के आयोजन पर हाई कोर्ट की रोक, अगली सुनवाई 5 जनवरी को

विक्रम अवार्ड-2023 के आयोजन पर हाई कोर्ट की रोक, अगली सुनवाई 5 जनवरी को
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पर्वतारोही मेघा परमार ने विक्रम अवार्ड के लिए नॉमिनेट भावना डेहरिया से पहले माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने का दावा किया है। कोर्ट ने विक्रम अवार्ड समारोह पर रोक लगाई

जबलपुरः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साहसिक खेलों के लिए दिए जाने वाले विक्रम अवार्ड-2023 का आयोजन करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई तक आयोजन नहीं किया जाए। जस्टिस एकलपीठ ने दूसरी दावेदार भावना डेहरिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 5 जनवरी 2026 को निर्धारित की है।

दरअसल, सीहोर निवासी पर्वतारोही मेघा परमार की ओर से आपत्ति लेते हुए एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया था कि एमपी शासन ने 2023 के साहसिक खेलों के लिए विक्रम अवार्ड की घोषणा की है। इसके अंतर्गत छिंदवाड़ा निवासी पर्वतारोही भावना डेहरिया का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें भावना के चयन से कोई आपत्ति नहीं है।

पर्वतारोही ने कहा वह भी अवार्ड की हकदार

हालांकि उसका कहना है कि 22 मई 2019 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वालों में वह अग्रणी थी। उसने भावना डेहरिया से पहले तिरंगा फहरा दिया था। दोनों के बीच पांच घंटे का अंतराल था। मेघा पांच बजे सुबह चोटी पर पहुंच गई थी, जबकि भावना पौने 10 बजे पहुंची थी। इस लिहाज से भावना की भांति मेघा का भी विक्रम अवार्ड पर हक है।

2022 के मामले का दिया हवाला

पिछली सुनवाई के दौरान सीनियर वकील तन्खा ने दलील दी थी कि 2022 में विक्रम अवार्ड के चयन की प्रक्रिया में नियमों को शिथिल किया गया था। इसके चलते प्रदेश के 2 पुरुष खिलाडियों पर्वतारोही भगवान सिंह और रत्नेश के नामों पर मुहर लगाई गई थी। दोनों के बीच लक्ष्य हासिल करने में एक घंटे का अंतराल था। एक वर्ष में सिर्फ एक खिलाड़ी को अवार्ड देने का नियम बदलने का दृष्टांत सामने है।

नामांकन प्रक्रिया के अनुसार याचिकाकर्ता मेघा के लिए विक्रम अवार्ड पाने का यह आखिरी चांस है। मेघा की तरफ से वकालत कर रहे सीनियर वकील विवेक कृष्ण तन्खा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तर्क दिया गया कि इस अवार्ड की याचिकाकर्ता सही दावेदार है। इसलिए याचिका के अंतिम निराकरण तक उक्त अवार्ड किसी अन्य को नहीं दिया जाए।

मेघा पहले बनी अभियान की ब्रांड एंबेसडर

वकील ने बताया कि प्रदेश में संचालित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में मेघा को ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया गया था और भावना को यह अवसर मेघा के बाद हासिल हुआ। याचिका के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये।

इस याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने भावना डेहरिया को फिलहाल विक्रम अवॉर्ड दिए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है, साथ ही याचिका में बदलाव की अनुमति प्रदान करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 5 जनवरी को निर्धारित की गई है।

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