Duleep Trophy 2025: आज से दलीप ट्रॉफी का आगाज़, IPL से पहले यहां खेलते थे विदेशी क्रिकेटर्स, जानिए इसका पूरा इतिहास

Duleep Trophy 2025
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Duleep Trophy 2025

Duleep Trophy 2025 History Explained: साल 1960 का दौर था। भारत आज़ादी के बाद नई पहचान गढ़ रहा था। विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा था, लेकिन खेलों में तस्वीर अलग थी। खासकर क्रिकेट और हॉकी में पड़ोसी पाकिस्तान भारत से बेहतर प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाने लगा था।

आज़ादी के बाद से 1960 तक पाकिस्तान ने 29 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से 8 में जीत दर्ज की और 9 में हार मिली। दूसरी तरफ भारतीय टीम ने इसी दौरान 54 टेस्ट मैचों में हिस्सा लिया, लेकिन सिर्फ 6 मुकाबले ही जीत सकी, जबकि 22 मैचों में उसे शिकस्त झेलनी पड़ी।

रणजी से नहीं मिल रहा था टेस्ट लेवल का टैलेंट

भारत के कमजोर प्रदर्शन से चिंतित BCCI ने तत्कालीन सदस्यों की बैठक बुलाई और कारण तलाशने की कोशिश की। ज्यादातर सदस्यों का मानना था कि रणजी ट्रॉफी से टेस्ट क्रिकेट के काबिल खिलाड़ी सामने नहीं आ रहे। 1934 से शुरू हुई रणजी ट्रॉफी के कई मुकाबले अक्सर एकतरफा रहते थे। जहां एक ओर मजबूत टीम उतरती थी तो दूसरी तरफ कमजोर टीम आसानी से ढेर हो जाती थी।

दलीप ट्रॉफी की हुई शुरुआत

बैठक के बाद तय हुआ कि देश में एक नया घरेलू टूर्नामेंट शुरू किया जाएगा, जहां सभी टीमें बराबरी की टक्कर देंगी। मकसद था कड़े मुकाबलों से ऐसे क्रिकेटर तैयार करना जो टेस्ट स्तर पर टीम इंडिया को मजबूती दे सकें। इसलिए यह भी तय किया गया कि इसमें राज्यों की टीमें आपस में नहीं भिड़ेंगी बल्कि मुकाबला जोनल बेसिस पर होगा। नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट और सेंट्रल इन पांच जोन की टीमें बनाई गईं। 1961 में पहला टूर्नामेंट खेला गया, जिसे नाम मिला दलीप ट्रॉफी।

रणजी की परंपरा से जुड़ा नाम

जैसे रणजी ट्रॉफी का नाम नवानगर के महाराजा और इंग्लैंड के लिए टेस्ट खेल चुके जाम साहिब रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया था, वैसे ही नए टूर्नामेंट का नाम उनके भतीजे और इंग्लैंड के लिए खेल चुके दलीप सिंह जी के नाम पर रखा गया।

IPL से पहले यहां खेलते थे विदेशी क्रिकेटर्स

IPL से बहुत पहले दलीप ट्रॉफी वह टूर्नामेंट था जहां विदेशी खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। दूसरे सीजन यानी 1962 में ही मुकाबलों को और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए विदेशी क्रिकेटरों को शामिल किया गया। उस साल पांच में से चार टीमों ने वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों को जगह दी। मशहूर तेज गेंदबाज रॉय गिलक्रिस्ट साउथ जोन की ओर से खेले और फाइनल में 3 विकेट लेकर अपनी टीम को चैंपियन बनाया। इसके बाद करीब चार दशकों तक विदेशी खिलाड़ियों को मौका नहीं मिला।

विदेशी टीमों की एंट्री

साल 2004 से दलीप ट्रॉफी में विदेशी टीमों को भी बुलाया जाने लगा। 2004 में बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड इलेवन ने टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, जिसमें पूर्व कप्तान मोहम्मद अशरफुल भी शामिल थे। अगले साल 2005 में जिम्बाब्वे प्रेसिडेंट इलेवन ने भाग लिया, लेकिन कप्तान हैमिल्टन मसाकाद्जा की अगुआई में टीम दोनों लीग मैच हारकर बाहर हो गई।

बड़े नामों की मौजूदगी

2006 और 2007 में दलीप ट्रॉफी को और खास बनाने के लिए श्रीलंका और इंग्लैंड की ‘ए’ टीमों को भी आमंत्रित किया गया। इस दौरान कई बड़े नाम मैदान पर उतरे श्रीलंका के दिग्गज लेफ्ट आर्म स्पिनर रंगना हेराथ, इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज केविन पीटरसन, और इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी व मौजूदा अफगानिस्तान कोच जोनाथन ट्रॉट ने टूर्नामेंट में शिरकत की।

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