बेंगलुरु भगदड़ केस: RCB मार्केटिंग हेड ने गिरफ्तारी पर उठाए सवाल, कल कोर्ट में सुनवाई

बेंगलुरु भगदड़ केस
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बेंगलुरु भगदड़ केस

Bengaluru Stampede Case: बेंगलुरु भगदड़ मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में आज दो अहम याचिकाओं पर सुनवाई हुई। पहली सुनवाई राज्य सरकार से जुड़े मामले में थी, जिसमें कोर्ट ने सरकार को सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट की कार्यवाही पर सबकी नजरें टिकी हैं।

सरकार ने ओपन कोर्ट में जवाब देने से किया इनकार

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट को बताया कि पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, जो एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसी वजह से सरकार फिलहाल ओपन कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं करना चाहती। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 12 जून तय की है।

RCB अधिकारी ने कोर्ट में उठाए सवाल

दूसरी सुनवाई आरसीबी के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले की याचिका पर हुई। उन्हें 6 जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। सोसले ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पुलिस अधिकारियों को ही निलंबित किया गया। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया तो फिर उनके खिलाफ ही सख्त कार्रवाई क्यों की गई। इस मामले में अब अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

गिरफ्तारी पर उठे सवाल

RCB के मार्केटिंग हेड से जुड़ी सुनवाई के दौरान उनके वकील ने दलील दी कि जिस अपराध में 7 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है, उसमें गिरफ्तारी का अधिकार जरूर है, लेकिन सवाल यह है कि उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत क्यों पड़ी? हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या FIR में निखिल सोसले का नाम दर्ज है? इस पर वकील चौटा ने जवाब दिया कि FIR में सिर्फ संस्थाओं के नाम हैं, किसी व्यक्ति का नाम नहीं है।

साथ ही कहा गया कि किसी भी आरोपी की भूमिका स्पष्ट नहीं की गई है। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक सलाहकार को हटाया गया, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस अधिकारियों को भी सिर्फ सस्पेंड किया गया है, अरेस्ट नहीं किया गया, फिर सिर्फ उनके मुवक्किल के साथ ही सख्ती क्यों?

हाईकोर्ट में वकील का बड़ा दावा

RCB के मार्केटिंग और रेवेन्यू हेड निखिल सोसले की गिरफ्तारी को लेकर उनके वकील ने हाईकोर्ट में गंभीर आरोप लगाए। वकील ने दलील दी कि निखिल की गिरफ्तारी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देश पर की गई। उन्होंने कहा कि सेंट्रल क्राइम ब्रांच (CCB) ने सीधे CM के आदेश पर कार्रवाई की। कोर्ट इस मामले में 6 जून को हुई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

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