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संदेशखाली पर कथित सेकुलरी चुप क्यों?

विदेशी अखबारों के झरोखे से-डॉ. सुब्रतो गुहा

संदेशखाली पर कथित सेकुलरी चुप क्यों?
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कहां है वंचित वर्गों के पैरोकार:

भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के संदेशखाली में महिलाओं से बलात्कार, हत्या, जमीनों पर कब्जे जैसे गंभीर आरोपों के आरोपित एवं सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता शाहजहां शेख को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसे पश्चिम बंगाल राज्य के चौबीस परगना जिले के संदेशखाली से तीस किलो मीटर दूर मीना खान गांव से गिरफ्तार किया गया। लंबे समय से उसकी गिरफ्तारी नहीं होने पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उसे तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था।

द डेली स्टार, ढाका, बांग्लादेश

(टिप्पणी- दिनांक पांच जनवरी को जब केन्द्रीय जांच संस्था प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी विभिन्न आपराधिक प्रसगों की जांच तथा दस्तावेज बरामद करने संदेशखाली स्थित शाहजहां शेख के आलीशान घर पहुंचे, तब शाहजहां शेख ने अपने समर्थकों से सरकारी अधिकारियों पर हमले करवाकर उन्हें गंभीर रूप से घायल करवा दिया। पचपन दिनों तक फरार रहने के बाद आखिरकार 29 फरवरी को बंगाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। बंगाल पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दिखाने का नाटक किया, क्योंकि दो दिन पूर्व कोलकाता हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि गिरफ्तारी में विलंब को देखते हुए अब बंगाल पुलिस के अलावा उसे केन्द्रीय जांच संस्थाएं सीबीआई तथा ईडी भी गिरफ्तार करने हेतु अधिकृत होंगे। इससे बंगाल की सरकार एवं पुलिस डर गई कि यदि उसे सीबीआई अथवा ईडी ने गिरफ्तार कर लिया तो वह मुँह खोलेगा, राज उगलेगा और राज्य सरकार का सिंहासन डोलेगा। शाहजहां शेख बांग्लादेश से मुस्लिम घुसपैठिए के रूप में भारत आया। ईंट भट्टे में मजदूरी करने लगा, सेकुलर दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का नेता बन गया और सन 2011 में सेकुलर दल तृणमूल कांग्रेस के सत्तासीन होने पर तृणमूल कांग्रेस का प्रमुख नेता बन गया। संदेशखाली स्थित तृणमूल पार्टी कार्यालय में विगत दस वर्षों से एक लाख जनसंख्या वाले संदेशखाली में प्रतिदिन रात अनुसूचित जाति एवं जनजाति की अविवाहित युवतियों और विवाहित महिलाओं से सामूहिक बलात्कार करता तथा उनके पति व बच्चों पर अमानवीय अत्याचार करता। भारत के सेकुलर, झंडाबरदार इशरतजहां बिल्किस बानो के नाम लेकर मुखर आक्रोश व्यक्त करते हैं, परन्तु इन महिलाओं की पीड़ा पर मौन है, क्योंकि वे हिन्दू है। जय भीम- जय भीम का नारा बुलंद करने वाले भी मौन है, क्योंकि भीम का अत्याचार भीम पर हुआ है। दोहरे मापदंड इसी को कहते हैं।)

सेकुलर राष्ट्र में धार्मिक कानून

भारत के असम राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने ब्रिटिश शासनकाल में 1935 में पारित एवं अभी तक लागू मुस्लिम विवाह एवं तलाक कानून को समाप्त कर दिया है, जिससे अंतर्गत मुस्लिम समाज को बाल विवाह करने की पात्रता थी। भारत में केन्द्र व राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकारों की एक पुरानी प्रतिबद्धता रही है कि समूचे भारत में समान नागरिक संहिता लागू कर समस्त नागरिकों के लिए समान कानून का राज स्थापित किया जाएगा। असम सरकार का उक्त कदम समान नागरिक संहिता की ही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम निरूपित किया गया है। उधर विपक्षी सेकुलर दलों तथा उदारवादी बुद्धिजीवियों ने असम सरकार के उक्त निर्णय का घोर विरोध करते हुए इसे मुसलमानों के धार्मिक कार्यों में अवांछित तथा अवैधानिक हस्तक्षेप घोषित किया है।

- द इन्डीपेन्डेन्ट, लंदन, ब्रिटेन

(टिप्पणी- चौतीस प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या वाले असम राज्य में बड़े पैमाने पर बाल विवाह होते रहे हैं। असम में लागू मुस्लिम विवाह एवं तलाक कानून 1935 के अंतर्गत तेरह-चौदह या पंद्रह वर्ष की मुस्लिम बालिकाओं का विवाह होता था, जबकि अन्य समस्त धर्मों की बालिकाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु अठारह वर्ष थी। बाल विवाह द्वारा कम आयु की मुस्लिम बालिकाओं को शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों से वंचित कर उनका जीवन अंधकारमय बना दिया जाता। नाबालिग लड़कियों से यौन संबंध निषेध कानून पाक्सो भी मुस्लिम बालिकाओं पर लागू नहीं होता था। आखिर कानून द्वारा मुस्लिम बालिकाओं से हो रहे अन्याय को न्याय में बदलना मुसलमानों पर हमला कैसे हो सकता है- यक्ष प्रश्न तो यही है।)

सनातन से षड्यंत्र - रूप अनेक

क्या एक मुस्लिम शेर हिन्दू शेरनी के साथ रह सकता है? पश्चिम बंगाल विश्व हिन्दू परिषद् सचिव लक्ष्मण बनसल ने कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर शिकायत की कि त्रिपुरा राज्य से लाए गए राम-सीता नामक शेर-शेरनी के जोड़े को जब कोलकाता चिड़ियाघर लाया गया, तब ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों ने शेर का नाम राम से बदलकर अकबर कर दोनों के संयुक्त पिंजरे के ऊपर लिखवाया- अकबर और सीता। याचिका में हिन्दू धार्मिक भावनाएं आहत होने के तर्क पर सुनवाई करने के बाद कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल के चिड़ियाघर अधिकारियों को शेर-शेरनी के नाम बदलने के निर्देश देते हुए कहा कि जानवरों के नाम देवी - देवताओं या महापुरुषों पर नहीं होना चाहिए।

- अल जजीरा, दोहा, कतर

(टिप्पणी- पश्चिम बंगाल चिड़ियाघर अधिकारी न्यायालयीन आदेश के तुरंत पश्चात शेर अकबर और शेरनी सीता को अलग-अलग पिंजरों में रखवाकर उन्हें अन्य नाम देने की योजना बना रहे हैं। राम एवं सनातन धर्म से घनघोर घृणा करने वाली ममता बनर्जी ने सन् 2021 में चुनावों के समय भीड़ में एक व्यक्ति द्वारा जय श्रीराम नारा लगाने पर कहा था - मैं तुम्हारी खाल खींच लूंगी। स्वाभाविक है शेर का नाम राम तो सांप्रदायिक है पर अकबर नाम सेकुलर एवं अकबर-सीता की वैवाहिक जोड़ी सेकुलर जोड़ी। अब मकबूल फिदा हुसैन की हिन्दू देवी-देवताओं की नग्न पेंटिंग हो, वेन्डी डोनीगर की पुस्तक द हिन्दूज हो या चिड़ियाघर का उक्त प्रसंग सनातन हिन्दू आस्था पर आक्रमण के रूप अनेक -उद्देश्य एक।)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

Updated : 3 March 2024 8:20 PM GMT
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City Desk

Web Journalist www.swadeshnews.in


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