Home > विशेष आलेख > बंगाल में उपद्रवियों ने आखिर हिन्दुओं को क्यों बनाया निशाना ?

बंगाल में उपद्रवियों ने आखिर हिन्दुओं को क्यों बनाया निशाना ?

बंगाल में उपद्रवियों ने आखिर हिन्दुओं को क्यों बनाया निशाना ?
X

- डॉ. अम्बा शंकर बाजपेयी

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित इशारे पर राज्य के मुसलमान प्रदेश को अस्थिर करने का काम कर रहे हैं। शांति प्रदर्शन की आड़ में कट्टरपंथियों ने जहां करोड़ों-अरबों की सार्वजनिक संपत्ति को स्वाहा किया तो वहीं कई स्थानों पर मंदिरों, घरों एवं हिन्दुओं को निशाना बनाया। मुर्शिदाबाद एवं हावड़ा जिलों में कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन के नाम पर दर्जनों बसों को आग लगाकर खाक किया।

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जो उपद्रव मचाया उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। प्रत्यक्षदर्शी राजेश बताते हैं, अपराह्न तीन से चार बजे का समय रहा होगा। अचानक चारों तरफ से हजारों की उन्मादी भीड़ ने स्टेशन को घेरना शुरू कर दिया। स्टेशन के अंदर, बाहर, पटरियों पर चारों तरफ मुस्लिमों की भीड़ ही भीड़ दिख रही थी। इसमें छोटे-छोटे बच्चों से लेकर वृद्ध तक शामिल थे। ऐसे में वहां उपस्थित अधिकतर लोगों के मन में सवाल उठे कि करोड़ों-अरबों की सार्वजनिक संपत्ति को स्वाहा करने वालों का ये कैसा 'शांति प्रदर्शनÓ है? क्या ऐसा कोई भारतीय नागरिक कर सकता है? क्या स्थानीय शासन-प्रशासन इस पूरी साजिश का सूत्रधार है? खैर, काफी मशक्कत के बाद सड़क मार्ग से देर रात घर तो पहुंचा लेकिन कट्टरपंथियों का जो आतंक देखा, उसने रातभर सोने नहीं दिया। चिंता थी कि यह कबीलाई भीड़ बिना कुछ जाने-समझे नेताओं के बहकावे पर अराजकता फैलाने लगती है।

आखिर कौन हैं दंगों के पीछे ?

देश की संसद के उच्च सदन में गत दिनों जब नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा चल रही थी तब कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने कहा था, गृहमंत्री जी, देश का मुसलमान आपसे बिलकुल नहीं डरता। ठीक ऐसी ही बात कुछ समय पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही थी कि अगर सीएए लागू हुआ तो देश में गृह युद्ध होगा। इन बयानों के बाद काफी हद तक चीजें स्पष्ट हो जाती हैं कि आखिर देश एवं राज्य में फैली इस अराजकता के पीछे कौन हैं!

ममता बनर्जी और उनके नेता लंबे समय से तुष्टीकरण की नीति पर चल कर बांग्लादेशी मुसलमानों को पालते चले आ रहे हैं। राज्य के कई जिलों में अवैध घुसपैठियों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि वह तुष्टीकरण करने वाले दलों को चुनाव में हार-जीत का फैसला करते हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि वोट बैंक की राजनीति ममता से कुछ भी करवाएगी और जिहादियों को शह मिलते ही वे कुछ भी कर गुजरने में परहेज नहीं करेंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग-34 पर अवरोध उत्पन्न करके यात्री बसों को आग के हवाले कर दिया। कोयना एक्सप्रेस हाईवे पर खड़ी 30 बसों को एक साथ फूंक कर कट्टरपंथियों ने जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान रेलवे को सबसे ज्यादा क्षति पहुंची। खबरों की मानें तो बंगाल में दो दिन हुई लगातार हिंसा में विभिन्न स्टेशनों में तोडफ़ोड़ और आगजनी से रेलवे को 100 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

पश्चिम बंगाल में 30 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इस आबादी में एक बड़ी संख्या बांग्लादेशी घुसपैठियों की है जो सीमावर्ती-मुर्शिदाबाद, मालदा, नादिया, 24 उत्तर-दक्षिण परगना आदि जिलों में घुसपैठ कर सत्ता के संरक्षण में बस गए हैं। यही कारण रहा कि प्रदेश के 2011 व 2016 में हुए विधान सभा चुनाव में तृणमूल की जीत हुई। यह सिलसिला लोकसभा-2019 के चुनाव में भी जारी रहा। हालांकि ममता की पार्टी 12 लोकसभा सीटें हारी लेकिन उसके वोट में 3 फीसद की बढ़ोतरी हुई। वोट के इसी गुणा-भाग का सारा खेल है। नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद ममता बनर्जी बौखलाई हुई हैं। क्योंकि उन्हें अब लगता है कि केंद्र सरकार जल्द ही एनआरसी लाएगी जिससे राज्य में रह रहे 16 से 17 फीसद घुसपैठियों का वोट बैंक ध्वस्त हो जाएगा।

बहरहाल, नागरिकता संशोधन कानून के बाद राज्य में हुए प्रदर्शनों में जिस तरह से लाखों-करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, उससे सवाल उठता है कि जिन लोगों ने अपने ही घर को आग लगाई हो, वह इस देश के नागरिक कैसे हो सकते हैं! लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना सबका हक है लेकिन अराजकता फैलाने का अधिकार, कट्टरपंथियों को किसने दिया? इन सवालों के जवाब उन सभी लोगों को देने होंगे जो इन प्रदर्शनों को जायज बता रहे हैं और 'शांतिपूर्णÓ करार दे रहे हैं।

क्यों बनाया रेलवे को निशाना !

पश्चिम बंगाल में रेलवे का संजाल बहुत व्यापक है। दूसरी बड़ी बात कोलकाता, हावड़ा, सियालदह एवं खड़कपुर से प्रतिदिन देश के विभिन्न भागों के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन होता है। उत्तरपूर्व की सभी गाडिय़ों का रास्ता उत्तर बंगाल के मुर्शिदाबाद व मालदा होकर ही गुजरता है। उत्तर एवं दक्षिण रेलवे की लगभग 1400 लोकल ट्रेनों का संचालन राज्य के विभिन्न जिलों तक होता है। ऐसे में राज्य को स्थिर करने के लिए रेल को निशाना बनाना सबसे आसान है। इससे पूरे जनजीवन को अस्त-व्यस्त किया जा सकता है और यहां नुकसान करने से केंद्र को एक कड़ा संदेश जाएगा। कट्टरपंथी संगठनों ने ऐसा ही किया।

- लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं।

Updated : 29 Dec 2019 10:28 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top