ठगी के विश्वव्यापी धंधे का अपडेशन

माया ठगनी है। ऐसा धर्म शास्त्रों में कहा गया है। धर्म शास्त्रों की यही बात इतनी जोर से लोगो ने अंतर्मन में उतारी कि , मायावी बनकर ठगने के सैकड़ों तरीके निकाल लिए। ठगी का धंधा लाखों साल पुराना है।ठगने के तरीके जैसे जैसे पुराने होते गए,, ठगने वाले उनका अद्यतन यानी अपडेशन करते गए। ठगी के धंधे का विकास हुआ और इस व्यापार में नए नए तरीके विकसित हुए।अब लोग बैंक खाते से रुपए उड़ाने के साथ साथ,खुल कर ऑन लाइन उधारी तक आ गए,ये होता है अपने धंधे का समय के हिसाब से विकास । गजब के लोग तो वह है,ही ।जो ऑन लाइन उधारी मांगते है,पर उन लोगो की भी बुद्धि चातुर्य को भी प्रणाम करना चाहिए कि,जो दो कोड़ी की जाल साजी में फंसकर ,उन्हें उधार दे देते हैं। नहीं,नहीं,मै तो कहता हूं कि ऐसे लोगो की दिमाग को संग्रहालय में रखना चाहिए,जो आजकल रात दिन हो रही ठगी के दिनों में भी ये समझते है कि,,उन्हें मैसेंजर पर ही लिखने से कोई हजारों रुपए दे देगा।उनके इस गंदर्भपन से परिपूर्ण बुद्धि को दो छटांक भर श्रद्धांजलि देना चाहिए। मेरे एक दोस्त ने लिखा मेरे आईडी हैक हो गई है,कोई पैसे मांगे तो मत देना। जिसने ये लिखा उसकी साख तो मोहल्ले में पान की दुकान पर ही नहीं है,उसे तो सब्जी वाला भी 5 रुपए का धनिया भी उधार ना दे,वह जब लिखता है कि कोई मेरे नाम पर पैसे ना दें,,तो बरबस हंसी छूट जाती है,ये बात अलग है कि ,जो लोग उसे नहीं जानते उन लोगो में उसकी साख जरूर बन जाती है , कि बंदा है बहुत इज्जत वाला,बात का धनी। कोई नकली खाता बनाकर पैसे मांगने वाले को दे या ना दे, पर असली खाता वाले के जरूर कुछ रास्ते खुल जाते है,नए उधार के। हमारे देश में ये ठगी के नए रास्ते है, नए आयाम है,,वरना हमारे देश में नकली सोना और नकली नोट से ठगने की पुरानी परंपरा हुआ करती थी, ठगी का इतिहास बड़ा ही पुराना और स्वर्णिम है,और कई बार वह अलग अलग रूप से आता है। तो,ठगी का व्यापार विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त है। राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र तो सीधे सीधे,ठगी का मामला ही है। लोग उनकी बात मानकर वोट दे देते हैं,,कुछ दिनों बाद उन्हें समझ आती है,, अरे यार, फंस गए। देश में इतने पुराने और सफल प्रोफेशन को लेकर सरकारों का रुख हमेशा नकारात्मक रहा है, बताओ,हम इतने उन्नत और विकसित व्यापार में पारंगत है,फिर भी इसे विश्वव्यापी व्यापार बनाने के लिए प्रयास नहीं किया गया।अगर इस प्रोफेशन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हाथ आजमाए जाएं तो हमारे हुनर बाज यूरो डॉलर में धंधा करें। एक सिस्टम तैयार हो जाए जिसमें ठगी के बहुत होशियार लोग बड़े देशों का काम देखे। छोटे लोग नेपाल ,श्री लंका में स्कोप तलाशें। इस व्यापार में आसानी देखते हुए कई बड़ी कंपनियां भी ऑन लाइन ठगी का धंधा करती है,बताते है कि बिहार और झारखंड के जंगलों में बैठे लोग,एटीएम के नंबर मांग कर बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा देते थे,,अब कोई उनके कहने में नहीं आता,,क्यों कि सब तरफ बताया गया कि,ऐसे फोन पर अपना बैंक खाता नंबर मत बताना,,पर नहीं जी, इस दुनिया में ,कुछ इतने सज्जन और भोले भाले लोग है कि वह बड़ी आसानी से खुद को ठगने का अवसर प्रदान कर देते हैं। ऐसे ही लोग है जो,खुद की शादी के लिए लड़की देखकर ,बात करने के बाद भी कुछ सालों बाद कहते है,जी, गाय बताकर शेरनी थमा दी। (प्रस्तुति : प्रदीप औदिच्य)
