सवा दो घंटे में पूरी होगी बेंगलुरु-चेन्नई की दूरी

सवा दो घंटे में पूरी होगी बेंगलुरु-चेन्नई की दूरी
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विनोद नागर

दक्षिण भारत का पहला द्रुतगामी सड़क मार्ग इन दिनों तेजी से आकार ले रहा है। महानगर के होस्कोटे सीमावर्ती क्षेत्र से गुजरते हुए सहज ही इसके निर्माण कार्य की अनुभूति होने लगती है। अगले साल मार्च में जब यह एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार हो जाएगा, तब बेंगलुरु से चेन्नई की दूरी 300 किमी से घटकर 262 किमी रह जाएगी और दोनों महानगरों के बीच का सफ़र मात्र सवा दो घंटे में पूरा किया जा सकेगा।

फ़िलहाल सड़क मार्ग द्वारा बेंगलुरु से चेन्नई जाने में पाँच से छह घंटे का समय लगता है। इसके लिये दो राष्ट्रीय राजमार्ग उपलब्ध हैं। पहला- कोलार, चित्तूर, रानीपेट और कांचीपुरम होते हुए, जिसकी लम्बाई 335 किमी है। दूसरा- कृष्णागिरी और रानीपेट होते हुए जिसकी लम्बाई 372 किमी है। नया बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस-वे दोनों शहरों के बीच की दूरी और यात्रा समय को घटाते हुए तीसरे बेहतर विकल्प के रूप में सामने आएगा।

तीन राज्यों- कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु से होकर गुजरने वाले इस द्रुतगति सड़क मार्ग को नेशनल एक्सप्रेस-वे 7 (एनई-7) नाम दिया गया है। इस नये राजमार्ग पर वाहन 120 किमी की रफ़्तार से चल सकेंगे। करीब 17 हजार करोड़ रूपये की लागत से निर्माणाधीन यह राजमार्ग केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 'भारतमाला परियोजनाÓ का हिस्सा है, जिसके तहत देश भर में 26 नेशनल एक्सप्रेस-वे बनाये जा रहे हैं। इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल मई में रखी थी।

इस एक्सप्रेस-वे की शुरूआत बेंगलुरु में होस्कोटे से होगी और मालूर, बंगारपेट, कोलार गोल्ड फील्ड, पालमनेर, चित्तूर और रानीपेट होते हुए तमिलनाडु में कांचीपुरम जिले के श्रीपेरम्बदूर में समाप्त होगा। यह एक्सप्रेस-वे बेंगलुरु के प्रस्तावित रिंग रोड से भी जुड़ा रहेगा। चेन्नई-बेंगलुरु इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अंतर्गत हाथ में ली गई इस परियोजना को केन्द्र सरकार की'गति शक्तिÓ योजना से मिली गति के फलस्वरूप ही इसे निर्धारित समयावधि से छह महीने पहले पूरा कर लिये जाने के आसार जगे हैं।

निश्चित ही अधोसंरचना विकास की इस महत्वाकाँक्षी परियोजना के निर्धारित समयावधि में पूरा होने का समुचित लाभ न केवल स्थानीय क्षेत्र को बल्कि उत्कृष्ट सड़क नेटवर्क के जरिये पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा। बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रान्सफर) आधार पर तीन चरणों और 10 पैकेज में बनाये जा रहे इस अत्याधुनिक फोर लेन डबल डेकर एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे में 8 बड़े और 103 छोटे पुलों के अलावा 17 फ्लाय ओवर भी रहेंगे। इसे संयोग ही कहा जाना चाहिए कि इस वृहद् परियोजना के लिये 98 फ़ीसदी भूमि सम्बंधित राज्य सरकारों द्वारा आसानी से उपलब्ध करा दी गई।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा निर्माणाधीन इस एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की तेज गति से सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये उसे एक्सेस कंट्रोल्ड, एलिवेटेड तथा सिग्नल फ्री रखा जाएगा। इसके बन जाने से न केवल बेंगलुरु और चेन्नई के बीच रोजाना 45 हजार से 60 हजार वाहनों की आवाजाही सुगम हो सकेगी, बल्कि तीनों राज्यों में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की राह प्रशस्त होगी। औद्योगिक विकास से एक ओर जहाँ स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर मिल सकेंगे वहीं क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी नई दिशा मिलेगी।

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