‘वंदेमातरम्’ पर सदन में बहस: बहस या मरोड़?

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की सर्वोच्च पंचायत के दोनों सदनों में सोमवार को एक ऐतिहासिक अवसर आया। भारत के राष्ट्रगीत ‘वंदेमातरम्’ की 150 वर्ष की गौरवशाली यात्रा के अवसर पर सदन में बहस और चर्चा हुई, जिसने राष्ट्रीय भावना से सभी को ओतप्रोत कर दिया। सदस्यों ने अपने तार्किक दृष्टिकोण रखते हुए वंदेमातरम् के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान और जन-जन के मन-मस्तिष्क में स्वतंत्रता की ज्योति जलाए रखने में इसकी भूमिका पर विचार व्यक्त किया।
वंदेमातरम् आज भी विश्व के सामने भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और वसुधैव कुटुंबकम भावना का परिचायक है और भारत की पहचान को एक सशक्त, समृद्ध और विकासशील राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है। इस 150 वर्ष के गौरवपूर्ण पड़ाव पर संसद की चर्चा यह संदेश पूरे देश में पहुँचाने का अवसर है कि वंदेमातरम् जन-जन को जोड़कर राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाला महामंत्र है।
लेकिन इस बहस पर विपक्षी नेताओं की आपत्ति ने आश्चर्य पैदा किया। कांग्रेस सांसद प्रियंका बाड्रा ने आरोप लगाया कि यह बहस ध्यान भटकाने का प्रयास है और इसे बंगाल के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, संसद में पर्याप्त समय और अवसर मौजूद हैं और राष्ट्रगीत पर 10 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई थी। इसके बावजूद विपक्ष ने बहस की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए।
प्रधानमंत्री ने बार-बार उल्लेख किया कि स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस ने वंदेमातरम् के साथ अन्याय किया। कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के दबाव में राष्ट्रगीत के कुछ हिस्सों को संशोधित किया, और इसी तुष्टिकरण के चलते भारत का विभाजन हुआ। विपक्ष इस सत्य को स्वीकारने या माफी मांगने के बजाय बहस से बचने का रास्ता तलाश रहा है।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वंदेमातरम् ने राष्ट्र को जगाने और एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किसी को भी इसके विरोध की जरूरत नहीं थी-चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम, सिख, ईसाई या अन्य। बावजूद इसके, मुस्लिम लीग के विरोध और कांग्रेस के समर्थन ने इसके टुकड़े होने का मार्ग प्रशस्त किया।
संसद में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री समेत सत्तापक्ष के नेता वंदेमातरम् पर सारगर्भित विचार व्यक्त कर चुके हैं, जबकि विपक्ष ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर बहस की आवश्यकता पर सवाल उठाए। यही कारण है कि संसद में वंदेमातरम् पर बहस की प्रासंगिकता और जरूरत पर विपक्षी पक्ष सवाल करता रहा।
