नई दिल्ली पर आतंकी हमला; सीमा पार से आतंकवाद की नई चुनौती

नई दिल्ली पर आतंकी हमला; सीमा पार से आतंकवाद की नई चुनौती
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प्रो. अंतु जोशी

आतंकवादियों का एक नेटवर्क है, जो शिक्षित और कुशल व्यक्तियों जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षाविद और व्यवसायी से बना है। ये लोग आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने, वित्त पोषण करने, सुविधा प्रदान करने और उन्हें अंजाम देने के लिए अपनी वैध व्यावसायिक पहचान का लाभ उठाते हैं। यह विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद के जारी मुद्दे में एक और परेशान करने वाले अध्याय की शुरुआत है, जिसका भारत दशकों से सामना कर रहा है।

इस सप्ताह, नई दिल्ली स्थित लाल किले के पास एक कार बम विस्फोट हुआ, जिसे भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर एक जघन्य आतंकवादी हमला बताया है। इस विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए, जिससे यह भारतीय राजधानी में एक दशक से अधिक समय में सबसे बड़ा हमला बन गया। भारत सरकार ने सुरक्षा बैठक में इस हमले की निंदा की और इसे राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा किया गया कायरतापूर्ण कृत्य बताया। बिहार चुनाव के मद्देनजर, इस विस्फोट के बाद सभी पुलिस एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया।

प्रारंभिक खुफिया रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि यह विस्फोट जैश-ए-मोहम्मद की एक इकाई द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर के दौरान समूह के बहावलपुर मुख्यालय को हुए भारी नुकसान का बदला लेना था। कई समाचार माध्यमों के अनुसार, तथाकथित 'डॉक्टर मॉड्यूल' से जुड़े डॉ. उमर उन नबी, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा अभियानों के दौरान पकड़े जाने से बच निकले, को उस वाहन में मौजूद व्यक्ति के रूप में पहचाना गया जिसने 'लोन बुल्फ फिदायीन हमला' किया।

मुख्य संदिग्ध की पहचान डॉ. उमर मोहम्मद के रूप में हुई है, जो विस्फोट में मारा गया। अधिकारियों का संदेह है कि समूह 6 दिसंबर को दिल्ली में छह विस्फोटों की समन्वित श्रृंखला अंजाम देने का इरादा रखता था। माना जाता है कि दिल्ली में विस्फोट एक आकस्मिक घटना थी, जो संभवतः कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा संबंधित आतंकी सेल को समाप्त करने के बाद घबराहट में हुई।

इस घटना के बाद, फरीदाबाद में पुलिस छापों के दौरान भारी मात्रा में बम बनाने की सामग्री और हथियार जब्त किए गए। विशेष रूप से, एक महिला, डॉ. शाहीन सईद को 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल से जुड़े प्रमुख संदिग्ध के रूप में गिरफ्तार किया गया। वह लखनऊ की रहने वाली चिकित्सक हैं और फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में कार्यरत थीं। डॉ. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद की महिला शाखा, जमात-उल-मोमिनात, की भारतीय इकाई की नेता हैं।

खुफिया सूत्रों के अनुसार, उनकी जिम्मेदारियों में महिलाओं की भर्ती, धार्मिक शिक्षा प्रदान करना और सामाजिक गतिविधियों के बहाने संगठन की विचारधारा का प्रसार करना शामिल था। जांच के दौरान, उनके वाहन में हथियार पाए गए। महिला शाखा का संचालन पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद नेता मसूद अजहर की बहन, सादिया अजहर, करती हैं। कार बम का संचालन एक पुरुष संदिग्ध ने किया, जिसके DNA की पुष्टि विस्फोटित वाहन में मिले अवशेषों से हुई।

'व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल' का खुलासा हुआ है, जिसमें कई चिकित्सा पेशेवर शामिल हैं। यह नेटवर्क शिक्षित और कुशल व्यक्तियों का है, जो आतंकवादी गतिविधियों की योजना, वित्त पोषण और अंजाम देने के लिए अपनी वैध पहचान का लाभ उठाते हैं।

भारत कई दशकों से विभिन्न प्रकार के आतंकवाद का शिकार रहा है। इसमें 1993 के मुंबई बम विस्फोट, 2001 में संसद पर हमला, 2008 के 26/11 मुंबई हमले, 2019 का पुलवामा हमला और हाल ही में पहलगाम हमला शामिल हैं। पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है, खासकर जम्मू-कश्मीर में, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा है।

लश्कर-ए-तैयबा और जैश जैसे संगठन पाकिस्तान के प्रशासित क्षेत्रों से संचालित होते हैं। भारत ने पिछले दस वर्षों में आतंकवाद-रोधी ढाँचे को मजबूत किया है, जिसमें कानून सुदृढ़ करना, खुफिया जानकारी साझा करने के सिस्टम सुधारना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटना शामिल है।

भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय है और आतंकवाद के खिलाफ एकीकृत वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है। यह हमला इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है कि कैसे और क्यों शिक्षित, प्रगतिशील युवा जिहादी विचारधारा अपना कर आतंकवादी बन रहे हैं।आतंकवाद निस्संदेह एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जिसे स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संबोधित करना आवश्यक है। इसके समाधान के लिए प्रभावी नेटवर्क और बहुस्तरीय रणनीति तैयार करना जरूरी है, जिसमें मीडिया, बहुराष्ट्रीय संस्थान और जनता भी शामिल हों।

मीडिया आतंकवाद से प्रभावित देशों के तर्कसंगत दृष्टिकोण को उजागर और प्रसारित करके अंतर्राष्ट्रीय संचार को बेहतर बना सकता है। आतंकवाद का खतरा हमारे ऊपर मंडरा रहा है, लेकिन सामूहिक तैयारी और प्रभावी रणनीति हमें इस चुनौती का सामना करने में सक्षम बना सकती है।

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