भारत व यूएई के मजबूत होते संबंध

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के संबंध गहरे, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक है, तथा इनमें सभ्यतागत समानताओं के साथ लोगों के बीच जीवंत संबंध हैं। भारत और यूएई के बीच सन 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद अगस्त 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की यूएई की यात्रा ने दोनों देशों के बीच एक नई रणनीतिक साझेदारी का शुभारम्भ हो गया। वर्ष 2017 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर तत्कालीन अबूधाबी के क्राउन प्रिंस व वर्तमान के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान का मुख्य अतिथि के रूप में आना दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में सहायक रहा है। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री ने फरवरी 2018, अगस्त 2019, जून 2022 व जुलाई 2023 में यूएई का दौरा किया, जिसका सकारात्मक प्रभाव भारत-यूएई के संबंधों पर पड़ा है।
भारत और यूएई के संबंध ऊर्जा, आर्थिक विकास और आप्रवासी भारतीय जैसे बुनियाद पर गहरे जुड़े हुए हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान यूएई भारत को कच्चा तेल सप्लाई कराने वाला तीसरा बड़ा देश था और भारत के तेल आयात में इसकी दस प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। 1970 के दशक में भारत का यूएई से द्विपक्षीय व्यापार सिर्फ 18 करोड़ डॉलर का था, जो बढ़ कर 85 अरब डॉलर का हो गया है। भारत 2027 तक अपनी अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा कर पांच ट्रिलियन डॉलर करने की योजना में लगा है, जिसको हासिल करने के लिए 2030 तक अपने निर्यात को बढ़ा कर एक ट्रिलियन डॉलर तक करना चाहता है। 2021-22 में अमेरिका और चीन के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड-पार्टनर रहा है। अमेरिका के बाद भारत सबसे ज्यादा निर्यात यूएई में करता है।
भारत ने यूएई से गैर-तेल के कारोबार को 2030 तक बढ़ा कर सौ अरब डॉलर तक ले जाने के लिए गत वर्ष सीईपी (कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप) महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस समझौते में रक्षा, ऊर्जा, जलवायु और डिजिटल व्यापार जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी हैं। इस वर्ष जुलाई में दोनों देश अपनी मुद्राओं रुपये व दिरहम में व्यापार शुरू करने पर सहमत हो जाने से व्यापार की नई संभावनाएं बन रही हैं। इसके पहले ही यूएई ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 75 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जुलाई 2023 की यूएई यात्रा में वहां के राष्ट्रपति से एनर्जी, खाद्य सुरक्षा और रक्षा समेत कई मुददों पर चर्चा की, जिसमें 2022 में हुए सीईपीए की समीक्षा भी थी। निवेश के माध्यम से सऊदी अरब की तरह ही यूएई भी अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहता है, इसलिए तेल आधारित अर्थव्यवस्था पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए दुनिया भर में निवेश की नई जगह ढूंढ रहा है, जिसके लिए भारत में संभावनाएं दिख रही हैं। उसका इरादा 2031 तक अपने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ा कर दोगुना करने का है। इसके साथ अब वह फूड बिजनेस, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट कारोबार और ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केन्द्रित होना चाहता है। यूएई भारत को एक भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर देख रहा है जहां से ब्रह्मोस मिसाइल की खरीदारी के साथ ही मिलिट्री हार्डवेयर की मैन्यूफैक्चरिंग भी करना चाहता है। भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ही यूएई का पहला नैनो-उपग्रह नईफ-1 प्रक्षेपित किया था। भारत व यूएई के संबंधों की सबसे मजबूत कड़ी अप्रवासी भारतीय है, जो यूएई की लगभग एक करोड़ की जनसंख्या में सर्वाधिक 27.49 प्रतिशत हैं (जनसंख्या 2023) और यूएई की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। भारत को खाड़ी देशों से विदेशी मुद्रा का स्रोत भी यहीं लोग है तथा पूरी दुनिया में बसे भारतीयों में सर्वाधिक पैसा अमेरिका के बाद यूएई से भेजे जाते है। अबु धाबी में भारत का आईआईटी-दिल्ली कैंपस खलने जा रहा है तथा जनवरी 2024 से पाठ्यक्रम भी शुरू हो जाएगा। भारत के साथ यूएई भी चरमपंथ के खिलाफ व स्वच्छ ऊर्जा के समर्थन के मुद्दे पर काफी मुखर रहा है। टीकों की आपूर्ति बेहतर करने और भारत के बुनियादी स्वस्थ सुविधाओं के विकास में सहयोग देने के लिए यूएई अनुसंधान, उत्पादन और विकास के कामों में अपना निवेश बढ़ाने के साथ ही वंचित देशों की स्वास्थ्य जरूरतें पूरी करने के लिए सहयोग देने पर भी सहमति दोनों देशों के बीच बनी है। क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए तथा समुद्री सहयोग को बढ़ाने के लिए डेजर्ट ईगल जैसे नियमित सैन्य अभ्यासों का महत्वपूर्ण कदम है। यूएई इस बार संयुक्त राष्ट्र के 28वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कोप-28 का 30 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच आयोजन कर रहा है, जिसकी अध्यक्षता का पूरा समर्थन भारत ने किया है।
यूएई सेवा क्षेत्र के अंतर्गत वित्तीय सेवाएँ, थोक एवं खुदरा व्यापार और रियल एस्टेट एवं व्यावसायिक सेवाएँ मुख्य योगदानकर्ता हैं। भारत और यूएई के बीच सीईपीए से व्यापार में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो भारत का किसी भी अरब देश (मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देश) से हुई पहली सीईपीए संधि भी है। यूएई के साथ यह संधि हो जाने के बाद पूरी संभावना है कि खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) से भी सकारात्मक बातचीत की उम्मीद रहेगी, जिसमें यूएई के अलावा सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, ओमान और क़तर सहित कुल छह देश हैं। ग्रेटर अरब फ्री ट्रेड एरिया (गाफ्टा) समझौते के तहत यूएई को मध्य पूर्व व उत्तरी अफ्रीका तक मुक्त व्यापार पहुँच हासिल है। यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौते से भारत यूएई के रणनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर अफ्रीकी बाजार एवं इसके विभिन्न व्यापारिक सह-भागीदारों तक अपेक्षाकृत आसान पहुंच भारत के हित में है।
(लेखक भू-राजनीतिक मामलों के जानकार हैं)
