विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर विशेष: भारत में पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक चेतना, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक हरित क्रांति

पंकज कुमार: भारतवर्ष की संस्कृति और प्रकृति का संबंध अत्यंत गहरा है। यहाँ नदियों को माँ कहा गया, वृक्षों को देवताओं के रूप में पूजा गया और पर्वतों को आराध्य माना गया। ऋषियों-मुनियों ने सदियों पूर्व ही "प्रकृति रक्षति रक्षितः" का सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया था, जिसका तात्पर्य है, यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो वह हमारी रक्षा करेगी।
आज जब समूचा विश्व जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और प्राकृतिक असंतुलन जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, भारत अपने सांस्कृतिक मूल्यों और समर्पित नेतृत्व के बल पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वैश्विक उदाहरण बनकर उभरा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को न केवल नीति निर्माण में प्राथमिकता दी है, बल्कि इसे जन-आंदोलन के रूप में परिवर्तित किया है। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर यह समीचीन है कि हम भारत की पर्यावरणीय उपलब्धियों का पुनरावलोकन करें और जाने कि कैसे भारत ‘विकास’ और ‘पर्यावरणीय संतुलन’ के बीच सामंजस्य स्थापित कर रहा है।
भारत की आध्यात्मिकता हमेशा से प्रकृति के संरक्षण की पक्षधर रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने उद्बोधनों में बार-बार यह दोहराया है कि “पर्यावरण हमारे लिए कोई बाहरी विषय नहीं, बल्कि आस्था का विषय है।” उन्होंने ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (LiFE Movement) और एक पेड़ माँ के नाम अभियान की शुरुआत करके एक वैश्विक विचार प्रस्तुत किया कि जब तक जीवनशैली में बदलाव नहीं होगा, तब तक जलवायु संकट का समाधान संभव नहीं।
यह अभियान भारत की पारंपरिक जीवन शैली, जिसमें संयम, पुनर्चक्रण और सह-अस्तित्व शामिल है, को आधुनिक दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करता है। मिशन लाइफ
और एक पेड़ माँ के नाम अभियान प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा प्रस्तुत यह अभियान अब वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। यह व्यक्तिगत और सामुदायिक जीवनशैली में परिवर्तन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने की कोशिश है। भारत के लाखों लोगों ने इस मिशन में भागीदारी की है, जिससे पौधारोपण के साथ उसका संरक्षण, ऊर्जा बचत, जल संरक्षण और कचरा प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। देश के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया। इसका सकारात्मक असर दिख रहा है।
2026 तक पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10) में 40% तक की कमी लाना है। इसके तहत वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार, हरित पट्टियों का विकास और स्वच्छ ईंधनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक कचरे से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकना है। इससे लाखों टन प्लास्टिक कचरे में कमी आई है और स्वच्छता मिशन को भी मजबूती मिली है।
ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के अंतर्गत, पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियाँ करने वालों को ‘ग्रीन क्रेडिट’ दिए जाते हैं, जिन्हें दूसरे पर्यावरणीय दायित्वों की पूर्ति में उपयोग किया जा सकता है। इससे व्यक्तिगत, संस्थागत और औद्योगिक भागीदारी को प्रोत्साहन मिला है।
‘उज्ज्वला योजना’ के अंतर्गत एलपीजी सिलेंडर के वितरण से लाखों परिवारों को धुएं से मुक्ति मिली, जिससे इनडोर वायु प्रदूषण में भारी कमी आई। ‘फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME)’ योजना के जरिए इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया गया है, जिससे भारत शहरी प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण की ओर अग्रसर हुआ है।
भारत ने 2030 तक वन क्षेत्र को कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33% तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ‘कैंपेन फॉर ग्रीन इंडिया’, ‘राष्ट्रीय जैव विविधता मिशन’, और अमृत सरोवर योजना जैसे अभियानों के माध्यम से न केवल वनों का विस्तार हो रहा है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र भी पुनर्जीवित हो रहा है। रिपोर्टों के अनुसार पिछले एक दशक में भारत के वन क्षेत्र में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत ने G20, COP29 और अन्य वैश्विक मंचों पर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर निर्णायक नेतृत्व दिखाया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रस्तावित “वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड” का विचार वैश्विक ऊर्जा सहयोग की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की अगुवाई भी भारत कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में योजनाओं की सफलता का सबसे बड़ा कारण जनभागीदारी रही है। पर्यावरणीय मुद्दों को जन-आंदोलन बनाना, स्थानीय स्तर पर श्रमदान, जलस्रोतों की सफाई, पौधारोपण जैसे कार्यों में जनता की सहभागिता सुनिश्चित करना, यही भारत की शक्ति है। नमामि गंगे, एक पेड़ माँ के नाम अभियान और अमृत सरोवर जैसे अभियानों ने आम लोगों को प्रकृति से जोड़ा है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर यह विश्वास प्रबल होता है कि भारत न केवल अपनी सांस्कृतिक जड़ों से प्रेरणा लेकर पर्यावरण की रक्षा कर रहा है, बल्कि दुनिया को भी एक नई राह दिखा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि विकास की राह पर चलते हुए भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहा जा सकता है।
“पृथ्वी केवल एक संसाधन नहीं, यह हमारा अस्तित्व है”, यह विचार जब शासन के मूल में हो, तो सतत विकास केवल नारा नहीं, एक यथार्थ बन जाता है। भारत आज उसी यथार्थ को जी रहा है, और आगे बढ़ रहा है एक हरित, स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य की ओर।
लेखक: पंकज कुमार - (केंद्रीय विदेश तथा पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री के वरिष्ठ मीडिया सलाहकार)