रिश्तों के लिए मीठा जहर बनता स्मार्टफोन

भारतीय समाज में स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल पति-पत्नी के रिश्ते को कमजोर कर रहा है। वर्तमान परिवेश में व्यक्ति के जीवन में स्मार्टफोन एक अभिन्न अंग बन चुका है जो हमारे जीवन शैली को प्रभावित कर रहा है। वर्तमान समय स्मार्टफोन या ऐसे ही गैजेट्स का है इनके फायदे भी हैं और इनके नुकसान भी हैं। जब यह हमारे जीवन में व्यसन के रूप में शामिल हो जाता है तब इसका प्रभाव संबंधों पर नकारात्मक पड़ने लगता है। यह सही है कि वर्तमान समय में अधिकांश काम स्मार्टफोन के माध्यम से ही किए जाते हैं। लेकिन वर्तमान समय में स्मार्टफोन पारिवारिक रिश्तों में मीठे जहर का काम कर रहा है। स्मार्टफोन अब पति पत्नी और तमाम सभी रिश्तों में दूरियां बढ़ाने का काम भी कर रहा है। पति- पत्नी एक-दूसरे के साथ समय बिताने के बजाय स्मार्टफोन और अनेक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर व्यस्त रहते हैं जिससे उनके संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अधिकांश पति और पत्नी यह मानते हैं कि उनका ध्यान निजी संबंधों में कम और मोबाइल पर ज्यादा है इसलिए संबंधों में दूरियां आती जा रही है।
अब अधिकांश लोग बदलने के लिए भी तैयार हैं और अधिकांश समय अपनी पति या पत्नी के साथ बिताने की बात को भी निश्चित रूप से स्वीकार करते हैं। स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का असर हमारी पारिवारिक संरचना पर पड़ने लगा है। परिवार समाज की मूलभूत इकाई होती है। जिसके सभी सदस्य आपस में मिलजुल कर प्रेम स्नेह एवं भाईचारे के माध्यम से अपने अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं और हर व्यक्ति एक-दूसरे के लिए त्याग करने को तैयार रहते थे किंतु भौतिकवादी संस्कृति धान का बढ़ता महत्व बढ़ती हुई आकांक्षाएं, व्यक्तिगत स्वार्थ, लोभी मानसिकता, आपसी मनमुटाव और सामंजस्य की कमी के कारण परिवारिक संस्कृति को नुकसान पहुंचा है। भारतीय दर्शन और संस्कृति का यह विश्वास है कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं है, मां के आंचल से कोई बड़ी दुनिया नहीं ह,ै पिता से बढ़िया कोई दोस्त नहीं होता, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं होता तथा बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं होता। किंतु परिवार को चलाने में सबसे बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका पति और पत्नी की होती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता भले ही दुनिया का सबसे मजबूत बंधन होता है। लेकिन यह रिश्ता प्रेम और विश्वास पर टिका होता है। अगर वैवाहिक जीवन में प्रेम या विश्वास की कमी आने लगती है तो यह रिश्ता भी कमजोर होने लगता है। आज इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के कारण कहीं ना कहीं प्रेम और विश्वास में भी कमी आने लगी है, जो एक खतरनाक संकेत है। वर्तमान भौतिकवादी युग में आधुनिक आविष्कारों के कारण हम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के गुलाम होते जा रहे हैं। अब उनको हम नहीं चला रहे हैं, वह हमें चलाने लगे हैं, अब हम उनके अनुसार संचालित हो रहे हैं, हमारी जीवनशैली भी उन्हीं के अनुसार निर्धारित होने लगी है, इससे हमारा पूरा का पूरा जीवन प्रभावित हो रहा है।
यह उपकरण हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे हैं इनसे निकलने वाली सूक्ष्म तरंगे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है। लेकिन यह भी सच है कि हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर गए हैं कि इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना हमें जीवन जीने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। आवश्यकता इस बात की है कि हम इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का संतुलित प्रयोग करें ताकि हमारे स्वास्थ्य और हमारे संबंध पर इसका बुरा प्रभाव ना पड़े।
(लेखक शा. टीआर एस कॉलेज रीवा में प्राध्यापक हैं )
